Thursday, July 31, 2025
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तीन ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करने की UGC की मंजूरी: उच्च शिक्षा में एक नया अध्याय

भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाते हुए, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने हाल ही में तीन प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर स्थापित करने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय भारत को वैश्विक शिक्षा केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।

कौन से विश्वविद्यालय और कहाँ?

जिन तीन ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों को यह मंजूरी मिली है, वे हैं:

  1. वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी (Western Sydney University – WSU): यह विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा में अपना परिसर स्थापित करेगा। WSU अपने व्यापार विश्लेषक (Business Analytics), व्यापार विपणन (Business Marketing) में बीए, नवाचार और उद्यमिता (Innovation & Entrepreneurship) में एमबीए, और लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन (Logistics and Supply Chain Management) में एमबीए जैसे पाठ्यक्रम प्रदान करेगा।
  2. विक्टोरिया यूनिवर्सिटी (Victoria University – VU): विक्टोरिया यूनिवर्सिटी नोएडा में अपना परिसर खोलेगी। यह विश्वविद्यालय व्यवसाय, डेटा विज्ञान (Data Science), साइबर सुरक्षा (Cyber Security) में स्नातक और एमबीए, सूचना प्रौद्योगिकी (IT) में परास्नातक पाठ्यक्रम शुरू करेगा।
  3. ला ट्रोब यूनिवर्सिटी (La Trobe University): ला ट्रोब यूनिवर्सिटी बेंगलुरु में अपना परिसर स्थापित करेगी। यह विश्वविद्यालय व्यवसाय (वित्त, विपणन, प्रबंधन), कंप्यूटर विज्ञान (एआई, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग) और सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) में स्नातक पाठ्यक्रम चलाएगी।

इन विश्वविद्यालयों के 2026 से भारत में अपनी शैक्षणिक गतिविधियां शुरू करने की उम्मीद है।

UGC के नियम और उद्देश्य:

UGC ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए कुछ स्पष्ट नियम और दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य भारत में उच्च शिक्षा के मानकों को बनाए रखते हुए वैश्विक स्तर की शिक्षा प्रदान करना है। प्रमुख नियम इस प्रकार हैं:

  • वैश्विक रैंकिंग: परिसर स्थापित करने के इच्छुक विदेशी विश्वविद्यालय को आवेदन के समय विश्व रैंकिंग में शीर्ष 500 संस्थानों में शामिल होना चाहिए।
  • पाठ्यक्रम और स्वायत्तता: विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने भर्ती मानदंडों के अनुसार संकाय और कर्मचारियों की भर्ती करने की स्वायत्तता होगी। वे ऑनलाइन पाठ्यक्रम या दूरस्थ शिक्षा प्रदान नहीं कर सकेंगे। उन्हें नए पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले UGC से पूर्वानुमति लेनी होगी।
  • वित्तीय प्रबंधन: विदेशी विश्वविद्यालयों को अपनी फीस संरचना तय करने की स्वायत्तता होगी, लेकिन शुल्क “उचित और पारदर्शी” होना चाहिए। उन्हें विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) 2010 के तहत पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी।
  • डिग्रियों की समानता: भारतीय परिसर में छात्रों को दी जाने वाली डिग्रियां उनके मूल देश में संस्थानों द्वारा दी गई डिग्रियों के समकक्ष होनी चाहिए।

भारत को क्या लाभ होगा?

विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में आने से देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे:

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच: भारतीय छात्रों को अब उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि उन्हें अपने ही देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा मिल सकेगी। इससे विदेश में पढ़ाई के भारी खर्च और वीजा संबंधी कठिनाइयों से भी छुटकारा मिलेगा।
  • ब्रेन ड्रेन पर नियंत्रण: बड़ी संख्या में भारतीय छात्र हर साल उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं, जिससे देश का धन और प्रतिभा दोनों बाहर चले जाते हैं। विदेशी परिसरों की स्थापना से इस “ब्रेन ड्रेन” पर अंकुश लगेगा।
  • रोजगार के अवसर: ये परिसर न केवल छात्रों के लिए नए शैक्षिक अवसर लाएंगे, बल्कि शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा करेंगे।
  • अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा: विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग से संयुक्त अनुसंधान केंद्र, संकाय आदान-प्रदान और शैक्षणिक सुधारों को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में अकादमिक स्तर सुधरेगा और नवाचार को मजबूती मिलेगी।
  • प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि: देश में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना से भारत शिक्षा और अनुसंधान के मामले में वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेगा।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: इससे भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समझ को बढ़ावा मिलेगा।

यह कदम भारत को एक अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भारतीय युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायक होगा। यह भारत के ‘आइवी लीग’ के निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम है, जैसा कि NEP 2020 में परिकल्पित किया गया है।

मानसी शर्मा
मानसी शर्माhttps://www.khalifapost.com/
मानषी शर्मा एक समर्पित पत्रकार हैं जो शिक्षा, सरकारी योजनाओं और रोज़गार के अवसरों को कवर करती हैं। उनकी ज्ञानवर्धक रिपोर्टिंग का उद्देश्य जनता को सूचित और सशक्त करना है।
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