Friday, August 1, 2025
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The ‘Operation Sindoor’ Debate in Lok Sabha: रफाल, ट्रम्प और पाकिस्तान पर ‘न्यू नॉर्मल’ – किसने क्या कहा?

हाल ही में संसद के मानसून सत्र में ‘Operation Sindoor’ को लेकर लोकसभा में एक लंबी और गरमागरम बहस देखने को मिली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा की गई इस सैन्य कार्रवाई पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसमें रफाल विमानों के कथित नुकसान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के दावों और पाकिस्तान के साथ ‘न्यू नॉर्मल’ की नीति पर जमकर बहस हुई।

सरकार का पक्ष: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘Operation Sindoor’ को भारत की संप्रभुता और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प का “प्रभावी और निर्णायक प्रदर्शन” बताया। उन्होंने कहा कि 6 और 7 मई, 2025 को भारतीय सेनाओं ने इस ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसका मकसद आतंकी कैंपों और उनके समर्थकों को नेस्तनाबूद करना था। सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत का उद्देश्य पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ना नहीं था, बल्कि आतंकी ठिकानों को नष्ट करना और पहलगाम हमले का बदला लेना था। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए और 9 आतंकी ढांचों को तबाह किया गया। उन्होंने विपक्ष के उन सवालों को खारिज कर दिया कि कितने भारतीय विमानों को गिराया गया, यह कहते हुए कि यह सवाल राष्ट्रीय भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण यह पूछना है कि क्या हमने आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया, जिसका जवाब “हाँ” है। राजनाथ सिंह ने ट्रम्प के उस दावे को भी “पूरी तरह से निराधार” बताया कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में मध्यस्थता की। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों को पूरी तरह से प्राप्त करने के बाद ही ऑपरेशन बंद किया।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी सरकार के रुख का समर्थन किया और कहा कि ‘Operation Sindoor’ पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत की संप्रभु प्रतिक्रिया थी। उन्होंने अमेरिकी हस्तक्षेप के दावों का खंडन किया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी पहलगाम हमले की निंदा की और दोषियों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में सफलता हासिल की। जयशंकर ने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी सीमा चौकी को बंद करने जैसे शुरुआती कदम उठाए थे।

विपक्ष का हमला: गौरव गोगोई और अन्य

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर तीखा हमला बोला और कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण की आलोचना करते हुए सरकार पर आंतरिक सुरक्षा में चूक और पहलगाम हमले के स्रोत पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। गोगोई ने पूछा कि आतंकवादी पहलगाम तक कैसे पहुंचे, जबकि यह रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी थी। उन्होंने सरकार पर “बहादुरी और कार्रवाई” की बात करने का आरोप लगाया, जबकि पीड़ितों के परिवार अभी भी हमले के बारे में सवाल पूछ रहे हैं।

रफाल विमानों के कथित नुकसान पर गोगोई ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने कहा, “भारत में केवल 35 राफेल जेट हैं, और अगर उनमें से कुछ को गिराया गया है, तो मुझे लगता है कि यह एक बड़ा नुकसान है।” उन्होंने कहा कि जनता और जवानों को सच्चाई जानने का अधिकार है।

डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के दावों पर गोगोई ने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने 26 बार दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने के लिए व्यापार का इस्तेमाल किया। गोगोई ने पूछा, “अचानक युद्धविराम क्यों घोषित किया गया? हम प्रधान मंत्री से पूछना चाहते थे, अगर पाकिस्तान घुटनों पर आ गया था तो हमने क्यों रोका, और आपने किसके सामने आत्मसमर्पण किया?” उन्होंने यह भी सवाल किया कि अगर सेना के अधिकारी इस मुद्दे पर देश के बाहर बात कर सकते हैं, तो सरकार क्यों नहीं।

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार पर सैन्य लक्ष्यों पर हमला न करके पाकिस्तान को “क्लीन चिट” देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह एक “ऐतिहासिक रणनीतिक गलती” थी। तृणमूल के कल्याण बनर्जी और शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत ने भी ट्रम्प के दावों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाए और सरकार की इस बात पर सवाल उठाया कि जब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने का सबसे अच्छा समय था तो सैन्य कार्रवाई क्यों रोकी गई।

असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM) ने सरकार से सवाल किया कि अगर आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं चल सकते, तो फिर पाकिस्तान से क्रिकेट मैच कैसे खेला जा सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का मकसद भारत को कमजोर करना है, और हमें देश में एकता बनाए रखनी होगी।

‘न्यू नॉर्मल’ पर बहस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत ‘न्यू नॉर्मल’ बताया था, जिसका अर्थ है कि भारत अब आतंकी हमलों के खिलाफ सीधे सीमा पार जाकर जवाबी कार्रवाई करेगा। सरकार का दावा है कि यह ऑपरेशन इसी ‘न्यू नॉर्मल’ का एक उदाहरण है।

हालांकि, विपक्ष ने इस ‘न्यू नॉर्मल’ पर भी सवाल उठाए। गौरव गोगोई ने कहा कि अगर सरकार यह कह रही है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अधूरा है और पाकिस्तान फिर से ऐसा कर सकता है, तो यह कैसी सफलता है? उन्होंने सरकार से पूछा कि अगर उनका इरादा युद्ध करना या क्षेत्र पर कब्जा करना नहीं था, तो फिर पीओके को वापस कब लिया जाएगा?

कुल मिलाकर, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में हुई बहस में सरकार ने अपनी सैन्य कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि विपक्ष ने पारदर्शिता, रणनीतिक निर्णयों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के दावों को लेकर सरकार पर तीखे सवाल दागे। यह बहस भारत की सुरक्षा नीति, पड़ोसियों के साथ संबंधों और घरेलू राजनीति पर गहरा प्रभाव डालेगी।

हलीमा खलीफा
हलीमा खलीफाhttps://www.khalifapost.com/
हलीमा खलीफा एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं जो पहचान, संस्कृति और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर लिखती हैं। उनके आगामी कार्यों के अपडेट के लिए Khalifapost.com पर बने रहें।
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