भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में Singapore दौरे के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि Singapore भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का “हृदय” है। यह बयान दोनों देशों के बीच गहरे और बहुआयामी संबंधों के महत्व को दर्शाता है, जो न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक और सांस्कृतिक रूप से भी मजबूत हो रहे हैं।
‘एक्ट ईस्ट’ नीति का महत्व:
‘एक्ट ईस्ट’ नीति भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसका उद्देश्य पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत के आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना है। 1990 के दशक में शुरू हुई ‘लुक ईस्ट’ नीति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ‘एक्ट ईस्ट’ में बदला, जिसमें सक्रिय जुड़ाव और त्वरित परिणाम पर जोर दिया गया। इस नीति का लक्ष्य भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को गति देना, चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करना और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका को बढ़ाना भी है।
Singapore की केंद्रीय भूमिका:
Singapore, अपनी रणनीतिक भौगोलिक स्थिति, मजबूत अर्थव्यवस्था और आसियान (ASEAN) देशों के साथ गहरे संबंधों के कारण भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में एक सेतु के रूप में कार्य करता है। यह भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया और उससे आगे प्रशांत क्षेत्र तक पहुंचने में मदद करता है। जयशंकर के अनुसार, Singapore के साथ विचारों का आदान-प्रदान हमेशा उपयोगी होता है, जो दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय संवाद और आपसी समझ को दर्शाता है।
आर्थिक साझेदारी की गहराई:
भारत और Singapore के बीच आर्थिक संबंध अत्यंत मजबूत हैं। Singapore आसियान में भारत के सबसे बड़े व्यापार और निवेश भागीदारों में से एक है। यह भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक प्रमुख स्रोत भी है। दोनों देशों के बीच 2005 में हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) ने व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, Singapore भारत के लिए एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत था। इसके अलावा, भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और Singapore के PayNow का एकीकरण दोनों देशों के बीच तेजी से धन प्रेषण को सक्षम बनाता है, जो आर्थिक जुड़ाव को और बढ़ाता है।
रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग:
दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा को लेकर समान चिंताएं साझा करते हैं। 2015 में राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ पर, दोनों ने अपने संबंधों को एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में उन्नत किया। रक्षा सहयोग समझौता-2003 और नौसेना सहयोग समझौता-2017 जैसे समझौतों ने उनके रक्षा संबंधों को मजबूत किया है। दोनों देश सैन्य अभ्यास (जैसे नौसेना का SIMBEX, वायु सेना का SINDEX और थल सेना का बोल्ड कुरुक्षेत्र) भी नियमित रूप से आयोजित करते हैं।
सांस्कृतिक और मानवीय संबंध:
Singapore में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो वहां की अर्थव्यवस्था, सामाजिक ताने-बाने और सांस्कृतिक विविधता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यह भारतीय प्रवासी समुदाय दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2025 में भारत और सिंगापुर अपने राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जिसके लिए एक संयुक्त लोगो भी जारी किया गया है, जो दोनों देशों के बीच अटूट मित्रता, आपसी विश्वास और साझा मूल्यों का प्रतीक है।
निष्कर्ष:
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह बयान कि “Singapore भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का केंद्र है,” भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी सक्रिय भागीदारी का स्पष्ट संकेत है। Singapore के साथ मजबूत संबंध न केवल भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों को साधते हैं, बल्कि यह क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने में भी सहायक हैं। यह साझेदारी भविष्य में और अधिक गहन होने की उम्मीद है, जिससे दोनों देशों को पारस्परिक लाभ प्राप्त होंगे।