अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपना ऐतिहासिक मिशन पूरा करने के बाद, भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla अब अपनी धरती पर वापसी के लिए तैयार हैं। उनकी वापसी से पहले, अंतरिक्ष स्टेशन से उनकी कुछ खास तस्वीरें सामने आई हैं, जो उनके इस अविश्वसनीय सफर की झलक पेश करती हैं। इन ‘फोटो ओप’ में वे अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ मस्ती करते और पृथ्वी को निहारते हुए दिख रहे हैं, जिसने भारत के हर नागरिक को गर्व से भर दिया है।
एक यादगार मिशन का समापन
ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla ने एक्सिओम मिशन-4 मि के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 18 दिनों का वैज्ञानिक मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए, जिनमें मानव स्वास्थ्य, अंतरिक्ष कृषि, मानसिक भलाई और अंतरिक्ष सूट सामग्री पर अध्ययन शामिल थे। उनका विशेष ध्यान सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में ग्लूकोज मॉनिटर के परीक्षण पर रहा, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में मधुमेह रोगियों की भागीदारी को सक्षम बनाने के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
अपने अंतरिक्ष प्रवास के दौरान, शुक्ला ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत की, ISRO वैज्ञानिकों से चर्चा की और स्कूली छात्रों के साथ लाइव सत्र में भी जुड़े। उन्होंने अंतरिक्ष से भारत को “सारे जहाँ से अच्छा” बताया, जो भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के ऐतिहासिक शब्दों की याद दिलाता है। उन्होंने यह भी कहा कि आज का भारत अंतरिक्ष से महत्वाकांक्षी, निडर, आत्मविश्वासी और गर्व से भरा हुआ दिखता है।
घर वापसी की तैयारी और स्वागत
मंगलवार, 15 जुलाई को कैलिफ़ोर्निया तट से दूर प्रशांत महासागर में स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में शुभ्रांशु शुक्ला और उनके दल के सदस्यों का स्प्लैशडाउन (पानी में उतरना) होने की उम्मीद है। अंतरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी तक की उनकी यात्रा लगभग 22 घंटे की होगी। धरती पर लौटने के बाद, उन्हें चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर, ह्यूस्टन ले जाया जाएगा, जहाँ वे लगभग एक सप्ताह तक पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने के लिए पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरेंगे। इसमें शारीरिक फिटनेस, संतुलन, सजगता, हृदय संबंधी कार्य और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का मूल्यांकन शामिल होगा।
उनके परिवार के सदस्य, विशेषकर लखनऊ में उनके माता-पिता, उनकी घर वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उनके पिता, शंभू दयाल शुक्ला ने अपनी खुशी व्यक्त की है और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की है। उनकी माँ आशा शुक्ला अपने बेटे के पसंदीदा पकवान बनाने की तैयारी कर रही हैं, क्योंकि शुभ्रांशु ने बताया है कि वह पिछले पांच-छह वर्षों से जिन चीजों को नहीं खा पाए हैं, उन्हें खाना चाहते हैं।
भारत के अंतरिक्ष भविष्य के लिए एक मील का पत्थर
ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla की यह यात्रा न केवल उनके लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए भी एक बड़ा मील का पत्थर है। वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं, और यह ISRO के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन से पहले भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं को मजबूत करता है। उनके अनुभव और डेटा गगनयान कार्यक्रम और भविष्य के भारतीय मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।
जैसा कि Shubhanshu Shukla पृथ्वी पर अपनी वापसी की तैयारी कर रहे हैं, वह सिर्फ वैज्ञानिक निष्कर्ष और अनुभव ही नहीं ला रहे हैं, बल्कि आकांक्षा, एकता और राष्ट्रीय गौरव का संदेश भी ला रहे हैं। उनकी यात्रा लाखों भारतीयों, विशेषकर युवाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगी। यह मिशन इस बात का प्रमाण है कि जब विभिन्न देशों के लोग एक सामान्य लक्ष्य के लिए एकजुट होते हैं, तो मानवता क्या हासिल कर सकती है।