देशभक्ति और जासूसी पर आधारित वेब सीरीज़ का दौर ज़ोरों पर है। इसी कड़ी में नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज़ हुई सीरीज ‘Saare Jahan Se Accha’ भी शामिल है। प्रतीक गांधी और सनी हिंदुजा जैसे दमदार कलाकारों से सजी यह सीरीज़ 1970 के दशक की उस कहानी को दिखाती है, जब भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति बनने की होड़ में थे। यह शो भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ के बीच चल रही एक खतरनाक जासूसी की जंग को पर्दे पर लाता है। यह रिव्यु इस बात पर गहराई से चर्चा करेगा कि क्या यह शो इस विषय के साथ न्याय कर पाया है।
कहानी और प्लॉट
सीरीज़ की कहानी भारतीय जासूस विष्णु शंकर (प्रतीक गांधी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे रॉ प्रमुख आर.एन. काओ (रजत कपूर) ने एक बेहद गोपनीय मिशन पर पाकिस्तान भेजा है। विष्णु का काम पाकिस्तान के परमाणु बम बनाने के प्रयासों को विफल करना है, जो जुल्फिकार अली भुट्टो (हेमंत खेर) के नेतृत्व में चल रहा है। विष्णु का मुकाबला आईएसआई के तेज-तर्रार और क्रूर अधिकारी मुर्तजा मलिक (सनी हिंदुजा) से होता है। शो में जासूसी के तरीकों को बहुत ही बारीकी से दिखाया गया है, जैसे गुप्त संदेशों के लिए खोखले सेब और साबुन का इस्तेमाल। कहानी धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से आगे बढ़ती है, जिसमें देशभक्ति और देश सेवा के लिए दिए गए व्यक्तिगत बलिदानों की झलक मिलती है।
दमदार अभिनय और निर्देशन
इस सीरीज़ की सबसे बड़ी ताकत इसके कलाकारों का अभिनय है। प्रतीक गांधी एक शांत, संयमित और दृढ़निश्चयी जासूस के रूप में बेहतरीन लगते हैं। हालांकि, शो के असली हीरो सनी हिंदुजा और सुहैल नैयर बनकर उभरे हैं। मुर्तजा मलिक के किरदार में सनी हिंदुजा ने एक मजबूत और बहुआयामी खलनायक को पेश किया है, जो सिर्फ बुराई का प्रतीक नहीं है, बल्कि उसमें अपनी देशभक्ति की एक अलग ही समझ है। सुहैल नैयर ने भी एक ऐसे जासूस का किरदार निभाया है, जो अपनी पहचान और घर से दूर रहने के दर्द को महसूस करता है। इस शो की खास बात यह है कि यह किसी भी राष्ट्र को पूरी तरह से खलनायक के रूप में पेश नहीं करता, बल्कि दोनों देशों के जासूसों को अपनी-अपनी जगह पर सही दिखाता है। यह एक “वेलकम अनरूली एलिमेंट” है, जो शो को एक सामान्य जासूसी थ्रिलर से कहीं ऊपर ले जाता है।
कमजोरियाँ और आलोचना
जहां शो का पहला भाग काफी कसा हुआ और रोमांचक है, वहीं बाद के एपिसोड्स थोड़े कमजोर पड़ते हैं। कहानी में कुछ अनावश्यक उप-कथानक (सब-प्लॉट) भी हैं, जैसे एक रोमांटिक कहानी, जो मुख्य कहानी की गति को धीमा कर देती है। कुछ समीक्षकों के अनुसार, प्रतीक गांधी का किरदार विष्णु शंकर बहुत ज्यादा सीधा है, जिससे वह उतना असरदार नहीं लगता जितना मुर्तजा मलिक का किरदार है। इसके अलावा, शो में बार-बार आने वाला वॉयसओवर भी कई जगहों पर बेवजह लगता है और दर्शकों को कहानी समझने में मदद करने के बजाय, उन्हें परेशान करता है। क्लाइमेक्स भी थोड़ा कमजोर लगता है, जिससे शो का रोमांच अंत तक कायम नहीं रह पाता।
निष्कर्ष
‘Saare Jahan Se Accha’ एक अच्छा जासूसी थ्रिलर है, जो भारत-पाकिस्तान के परमाणु संघर्ष के इतिहास को एक नए नजरिए से दिखाता है। दमदार अभिनय, खासकर सनी हिंदुजा और सुहैल नैयर का, और बेहतरीन पीरियड डिटेलिंग इसे देखने लायक बनाती है। हालांकि, कुछ कमजोरियों के कारण यह एक मास्टरपीस नहीं बन पाता। अगर आप जासूसी और देशभक्ति से जुड़ी कहानियों के शौकीन हैं और एक संतुलित दृष्टिकोण वाला शो देखना चाहते हैं, तो यह सीरीज़ आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है। यह शो आपको सोचने पर मजबूर करेगा कि जासूसों की दुनिया में देशभक्ति की क्या कीमत होती है।