Russia का सुदूर पूर्वी कामचटका प्रायद्वीप, जिसे अक्सर ‘आग और बर्फ की भूमि‘ के रूप में जाना जाता है, हाल ही में आए एक शक्तिशाली भूकंप और उसके बाद की सुनामी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र में अक्सर भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं, क्योंकि यह तथाकथित ‘प्रशांत रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित है, जो दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है। हालांकि, इस बार की घटना ने व्यापक चिंताएं बढ़ा दी हैं और कई देशों में सुनामी का अलर्ट जारी किया गया है। land of fire and ice
भूकंप और सुनामी का प्रभाव:
बुधवार को कामचटका प्रायद्वीप के तट से लगभग 125 किमी दक्षिण-पूर्व में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.8 से 8.8 मापी गई, जो पिछले एक दशक में Russia में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप बताया जा रहा है। भूकंप का केंद्र अपेक्षाकृत उथला था, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 19.3 किलोमीटर (12 मील) की गहराई पर था। इसी वजह से जमीन पर तीव्र झटके महसूस किए गए और तुरंत सुनामी की लहरें उठने लगीं।
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, सुनामी की लहरें 4 मीटर (12 फीट) तक ऊंची उठीं, जिससे तटीय इलाकों में भारी तबाही हुई। घरों और कारों को तिनकों की तरह बहते देखा गया, और कई बड़ी इमारतें भी क्षतिग्रस्त हो गईं। कामचटका के गवर्नर व्लादिमीर सोलोदोव ने लोगों से तटीय इलाकों से दूर रहने की अपील की और इसे दशकों में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप बताया। सेवेरो-कुरिल्स्क जैसे छोटे तटीय कस्बों में लोगों को अपने घरों को खाली करने के लिए कहा गया।
बचाव कार्य और सतर्कता:
भूकंप के तुरंत बाद, बचाव और राहत कार्य शुरू किए गए। हैरान कर देने वाली बात यह रही कि कामचटका के एक अस्पताल में सर्जरी कर रहे डॉक्टरों की टीम ने भूकंप के दौरान भी अपना धैर्य बनाए रखा और ऑपरेशन को नहीं रोका। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि जिस मरीज की सर्जरी हुई, वह पूरी तरह से ठीक है। सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि डॉक्टर किस तरह से विषम परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य का पालन करते रहे।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और चेतावनी:
रूस के अलावा, इस शक्तिशाली भूकंप के कारण जापान, अमेरिका (हवाई और अलास्का), ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और प्रशांत महासागर के कई द्वीप देशों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। जापान की मौसम एजेंसी ने तटीय शहरों में 3 मीटर तक ऊंची लहरों की चेतावनी दी, जिसके बाद वहां स्थानीय प्रशासन अलर्ट पर है। अमेरिका के हवाई में भी 5 फीट ऊंची लहरों की सूचना मिली है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है। भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी केंद्र (ITEWC) ने हालांकि, भारत के लिए सुनामी के किसी खतरे से इनकार किया है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कामचटका प्रायद्वीप में पहले भी बड़े भूकंप आए हैं। 4 नवंबर 1952 को इसी क्षेत्र में 9.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जो इतिहास में दर्ज सबसे बड़े भूकंपों में से एक है। उस समय भी 13 मीटर तक की सुनामी उठी थी, जिससे हवाई द्वीप में भी भारी नुकसान हुआ था।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, रूस और आसपास के देशों में अधिकारियों ने लोगों से सतर्क रहने और सभी सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है। ‘आग और बर्फ की भूमि’ ने एक बार फिर अपनी प्रचंड प्राकृतिक शक्ति का प्रदर्शन किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रकृति के सामने मानव कितना भी विकसित हो जाए, वह उसकी शक्ति को कम नहीं आंक सकता।