Nepal में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार का tragically निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि काठमांडू स्थित उनके घर में कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा आग लगाए जाने के बाद वह गंभीर रूप से जल गईं, जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। यह घटना देश में अशांति और हिंसा के बढ़ते स्तर को दिखाती है।
घटना का विवरण
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, एक उग्र भीड़ ने काठमांडू के दल्लू में स्थित पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के आवास पर हमला किया। प्रदर्शनकारियों ने घर में तोड़फोड़ करने के साथ-साथ आग भी लगा दी। इसी दौरान राजलक्ष्मी चित्रकार आग में फंस गईं और उन्हें गंभीर चोटें आईं। उन्हें तुरंत कीर्तिपुर बर्न अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। इस घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है और राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है।
विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि
Nepal में यह उग्र विरोध प्रदर्शन “जेन-जेड” नामक युवा आंदोलन द्वारा शुरू किया गया था। यह विरोध सरकार द्वारा कई लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद भड़का था। हालांकि, यह आंदोलन अब केवल सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसमें भ्रष्टाचार, राजनीतिक भाई-भतीजावाद और युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी जैसे गहरे मुद्दों को भी शामिल कर लिया गया है। ये प्रदर्शनकारी देश की राजनीतिक व्यवस्था से अपनी निराशा व्यक्त कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों से भिड़ रहे हैं और सरकारी अधिकारियों व राजनीतिक नेताओं के घरों और संपत्ति को निशाना बना रहे हैं।
मौजूदा हालात
राजलक्ष्मी चित्रकार की दुखद मौत, मौजूदा संकट की गंभीरता को रेखांकित करती है। इन प्रदर्शनों में पहले ही कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है, और संसद भवन सहित कई सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को आग लगाई जा चुकी है। हिंसा का आलम यह है कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया है और राजधानी सहित कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
हालांकि सरकार ने सोशल मीडिया पर से प्रतिबंध हटा लिया है, लेकिन युवाओं में अंतर्निहित गुस्सा और आक्रोश अभी भी बरकरार है। राजलक्ष्मी चित्रकार की मौत इस राजनीतिक उथल-पुथल की मानवीय लागत का एक दुखद उदाहरण है। जैसे-जैसे देश इस अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है, शांति और स्थिरता बहाल करने और उन व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिन्होंने इस आक्रोश को हवा दी है।