नई दिल्ली: अमेरिका में Green Card धारकों की औसत कमाई को लेकर ट्रम्प प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी के बयान ने अप्रवासन नीति में संभावित बड़े बदलावों का संकेत दिया है। इस बयान के बाद, दुनिया भर के उन लाखों लोगों में चिंता बढ़ गई है जो लंबे समय से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि मौजूदा प्रणाली सही प्राथमिकताओं को बढ़ावा नहीं दे रही है और देश की आर्थिक जरूरतों के अनुरूप नहीं है।
औसत कमाई पर सवालिया निशान
ट्रम्प प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में एक बयान में कहा कि औसत अमेरिकी नागरिक सालाना लगभग 75,000 डॉलर कमाता है, जबकि औसत ग्रीन कार्ड धारक की कमाई 66,000 डॉलर है। अधिकारी ने सवाल उठाते हुए कहा, “हम ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह निचले स्तर के लोगों को चुनने जैसा है।” यह टिप्पणी एक नए दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य अमेरिका में उन लोगों को आकर्षित करना है जो उच्च-कौशल और उच्च आय वाले हैं।
‘गोल्ड कार्ड’ का प्रस्ताव
इस नए दृष्टिकोण के तहत, ट्रम्प प्रशासन “गोल्ड कार्ड” योजना पर विचार कर रहा है। इस योजना के अनुसार, जो विदेशी नागरिक अमेरिका में कम से कम 50 लाख डॉलर का निवेश करेंगे, उन्हें स्थायी निवास यानी ग्रीन कार्ड प्रदान किया जाएगा। अधिकारी ने दावा किया है कि इस योजना में रुचि रखने वाले संभावित आवेदकों की संख्या पहले से ही 2,50,000 से अधिक है। यदि यह योजना लागू होती है, तो इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 1.25 ट्रिलियन डॉलर तक का निवेश आ सकता है।
प्रभाव और परिणाम
यह कदम अप्रवासन नीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अब तक, अमेरिका में Green Card प्राप्त करने के लिए परिवार-आधारित (family-based) और रोजगार-आधारित (employment-based) श्रेणियां प्रमुख थीं। ट्रम्प प्रशासन का नया फोकस अब आर्थिक योगदान और योग्यता पर अधिक हो गया है। इस बदलाव का सबसे बड़ा असर उन मध्यमवर्गीय पेशेवरों पर पड़ेगा, खासकर भारतीय पेशेवरों पर, जो योग्यता-आधारित वीजा जैसे H-1B के माध्यम से ग्रीन कार्ड के लिए लंबी कतारों में इंतजार कर रहे हैं।
यह भी आशंका जताई जा रही है कि “गोल्ड कार्ड” योजना अन्य वीजा धारकों को Green Card की कतार में और भी पीछे धकेल सकती है, क्योंकि यह सीधे तौर पर अमीर निवेशकों को स्थायी निवास का रास्ता दे रही है। इसका मतलब यह है कि अमेरिका में रहने और काम करने के इच्छुक लाखों लोगों के लिए यह प्रक्रिया और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
आगे क्या होगा?
ट्रम्प प्रशासन का यह कदम साफ तौर पर दर्शाता है कि उनकी अप्रवासन नीति का केंद्र बिंदु अब ‘मेरिट’ और ‘निवेश’ पर होगा। इसका उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और ऐसे अप्रवासियों को आकर्षित करना है जो देश के लिए बड़ा आर्थिक योगदान दे सकें। हालांकि, इस बदलाव को लागू करने में कई चुनौतियां भी हैं, जिसमें मौजूदा कानूनों में बदलाव और राजनीतिक विरोध शामिल हैं। भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नीति किस तरह से आकार लेती है और इसका अमेरिका और दुनियाभर के आप्रवासियों पर क्या प्रभाव पड़ता है।