Prime Minister Narendra Modi ने हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान, पीएम Modi ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में “स्थिर प्रगति” हुई है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और चीन के बीच स्थिर और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। इस बैठक से पहले भी, दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों ने सीमा विवाद सहित कई मुद्दों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने “आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित” के सिद्धांतों पर काम करने पर सहमति जताई है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भी स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में जो तनाव आया था, वह दोनों देशों के लोगों के हित में नहीं था। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल होने से उन्हें खुशी है। वांग यी ने पीएम मोदी की आगामी चीन यात्रा को बहुत महत्व दिया है, जो शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए होगी। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।
बैसेन्ट ने भारत के अमीर परिवारों पर कटाक्ष किया
यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि आपने जिस घटना का जिक्र किया है, उसमें एनी बैसेन्ट (Annie Besant) नहीं, बल्कि शांतानु देशपांडे (Shantanu Deshpande), बॉम्बे शेविंग कंपनी के सीईओ, ने भारत के अमीर परिवारों पर कटाक्ष किया था। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि भारत में लगभग 2,000 परिवार देश की कुल 18% संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन उनका कर योगदान बहुत कम है।
देशपांडे ने इस असमानता को “असाधारण” बताते हुए कहा कि यह स्थिति देश के लिए उचित नहीं है। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि ये परिवार “कड़ी मेहनत करो और आगे बढ़ो” जैसे नारों को बढ़ावा देते हैं, जो कि केवल उनके अपने स्वार्थ के लिए होता है। उनका यह बयान भारत में धन असमानता (wealth inequality) पर एक बड़ी बहस का हिस्सा बन गया है।
एनी बैसेन्ट, जिनका आपने अपने प्रश्न में उल्लेख किया था, एक ब्रिटिश समाजवादी, थियोसोफिस्ट और महिला अधिकार कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका संबंध 20वीं सदी की शुरुआत के भारतीय इतिहास से है, न कि हाल की किसी घटना से। संभव है कि नाम की समानता के कारण भ्रम हुआ हो।