नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Gaza Conflict को समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पेश की गई व्यापक शांति योजना का खुलकर स्वागत किया है। भारत के प्रधानमंत्री की यह घोषणा, एक ऐसे समय में आई है जब यह क्षेत्र पिछले लंबे समय से चली आ रही हिंसा और तनाव से जूझ रहा है।
मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में, प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल को “दीर्घकालिक और स्थायी शांति” की दिशा में एक व्यवहार्य मार्ग बताया। उन्होंने लिखा, “हम Gaza Conflict को समाप्त करने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रम्प की व्यापक योजना की घोषणा का स्वागत करते हैं। यह फिलिस्तीनी और इजरायली लोगों के साथ-साथ व्यापक पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक और स्थायी शांति, सुरक्षा और विकास का एक व्यवहार्य मार्ग प्रदान करता है।”
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस गंभीर मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों को एकजुट होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “हमें उम्मीद है कि सभी संबंधित पक्ष राष्ट्रपति ट्रम्प की पहल पर एकजुट होंगे और संघर्ष को समाप्त करने और शांति सुनिश्चित करने के इस प्रयास का समर्थन करेंगे।”
ट्रम्प की 20 सूत्रीय योजना के मुख्य बिंदु
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ हुई मुलाकात के बाद इस 20 या 21 सूत्रीय शांति प्रस्ताव की घोषणा की थी। इज़रायल ने इस योजना पर अपनी सहमति जता दी है। इस प्रस्ताव के प्रमुख बिंदुओं में शामिल हैं:
- तत्काल युद्धविराम और बंधकों की रिहाई: योजना में तुरंत युद्धविराम लागू करने का आह्वान किया गया है। इसके तहत, हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी शेष इजरायली बंधकों को 72 घंटों के भीतर बिना शर्त रिहा किया जाना अनिवार्य है।
- हमास का निरस्त्रीकरण: गाजा पट्टी को एक “गैर-कट्टरपंथी, आतंक-मुक्त क्षेत्र” बनाने और हमास को भविष्य की शासन संरचना से बाहर रखने की बात कही गई है।
- अंतरिम शासन: गाजा में एक अस्थायी, तकनीकी और गैर-राजनीतिक फिलिस्तीनी समिति द्वारा शासन स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसकी निगरानी एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय द्वारा की जाएगी।
- पुनर्निर्माण और सहायता: समझौते पर सहमति होते ही गाजा पट्टी में तत्काल पूर्ण मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण के लिए एक बड़ी आर्थिक विकास योजना शुरू करने का वादा किया गया है।
- इजरायली वापसी: इस योजना में इजरायली बलों की गाजा पट्टी से चरणबद्ध तरीके से वापसी की बात भी शामिल है।
- कोई विस्थापन नहीं: यह सुनिश्चित किया गया है कि गाजा के लोगों को इस क्षेत्र को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
भारत का संतुलित कूटनीतिक रुख
भारत का ट्रम्प की पहल का स्वागत करना उसकी संतुलित विदेश नीति को दर्शाता है। भारत, जिसका फिलिस्तीनी स्वतंत्रता के लिए ऐतिहासिक समर्थन रहा है, वहीं उसने हाल के वर्षों में इज़रायल के साथ भी अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया है। ऐसे में, किसी भी शांति पहल का समर्थन करना, जो इस क्षेत्र में रक्तपात को रोकने का वादा करती हो, नई दिल्ली की व्यापक क्षेत्रीय स्थिरता की इच्छा को रेखांकित करता है।
हालांकि, इस योजना की सफलता पर सवाल इसलिए भी बने हुए हैं क्योंकि हमास ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। अमेरिका ने यह प्रस्ताव मिस्र और कतर के मध्यस्थों के माध्यम से हमास के सामने रखा है। इज़रायल ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि हमास इस प्रस्ताव को अस्वीकार करता है, तो वह अपने सैन्य उद्देश्यों को ‘अंजाम’ तक पहुंचाना जारी रखेगा। वैश्विक समुदाय की निगाहें अब हमास के जवाब पर टिकी हैं और यह देखने के लिए भी कि क्या यह महत्वाकांक्षी योजना वास्तव में गाजा और पूरे पश्चिम एशिया में स्थायी शांति ला सकती है।