टॉलीवुड के पावर स्टार Pawan Kalyan की आगामी फिल्म ‘हरि हारा वीरा मल्लू‘ को लेकर दर्शकों में जबरदस्त उत्साह है। कृष जगरलामुडी द्वारा निर्देशित यह पीरियड एक्शन ड्रामा फिल्म 17वीं शताब्दी के मुगल काल पर आधारित है, जिसमें Pawan Kalyan एक ‘लीजेंडरी डाकू’ की भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म के टीज़र और फर्स्ट लुक ने पहले ही काफी उत्सुकता बढ़ा दी है, लेकिन एक सवाल जो लगातार चर्चा में है, वह यह है कि क्या Pawan Kalyan का यह किरदार दक्षिण भारतीय सिनेमा के दो महान दिग्गदों, एनटी रामाराव (एनटीआर) और एम.जी. रामचंद्रन (एमजीआर) से प्रेरित है?
एनटीआर और एमजीआर: जन नायक और बड़े पर्दे के मसीहा
एनटीआर और एमजीआर, दोनों ही भारतीय सिनेमा के ऐसे नाम हैं जिन्होंने सिर्फ अपनी अभिनय क्षमता से ही नहीं, बल्कि जन सेवा और राजनीतिक प्रभाव से भी लोगों के दिलों पर राज किया।
- एनटीआर: तेलुगु सिनेमा के बेताज बादशाह, एनटीआर ने पौराणिक और ऐतिहासिक किरदारों को बड़े पर्दे पर जीवंत किया। उन्होंने भगवान राम, कृष्ण और अन्य पौराणिक पात्रों को इस तरह से निभाया कि लोग उन्हें वास्तविक जीवन में भी पूजने लगे। उनकी फिल्में अक्सर न्याय, धर्म और लोक कल्याण के संदेश देती थीं। जनता उन्हें एक मसीहा के रूप में देखती थी जो गरीबों और दलितों के लिए खड़ा होता था। बाद में, उन्होंने राजनीति में कदम रखा और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, जहां उन्होंने कई जनोन्मुखी योजनाएं शुरू कीं।
- एमजीआर: तमिल सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री, एमजीआर ने अपनी फिल्मों में अक्सर एक ऐसे नायक की भूमिका निभाई जो गरीबों का हमदर्द होता था, अन्याय के खिलाफ लड़ता था और वंचितों के लिए न्याय सुनिश्चित करता था। उनकी ऑन-स्क्रीन इमेज ने उन्हें जनता के बीच ‘पोरुपट्टवरगलिन तोझान’ (गरीबों का दोस्त) बना दिया। उनकी लोकप्रियता इतनी जबरदस्त थी कि उनकी फिल्मों को अक्सर सामाजिक बदलाव का माध्यम माना जाता था।
‘हरि हारा वीरा मल्लू’ में Pawan Kalyan का किरदार: क्या दिखती है समानता?
‘हरि हारा वीरा मल्लू’ में Pawan Kalyan एक ऐसे नायक के रूप में दिख रहे हैं जो अन्याय के खिलाफ लड़ रहा है और गरीबों के लिए खड़ा है। फिल्म के विजुअल्स और पवन कल्याण का ‘आउटलॉ’ वाला अंदाज़ कहीं न कहीं एनटीआर और एमजीआर की उन भूमिकाओं की याद दिलाता है जिनमें वे समाज के दलित वर्ग के लिए लड़ते थे।
- सामाजिक न्याय का प्रतीक: एनटीआर और एमजीआर की फिल्मों में अक्सर एक ऐसा नायक होता था जो सामंती व्यवस्था, अन्यायपूर्ण शासकों और भ्रष्ट ताकतों के खिलाफ लड़ता था। ‘हरि हारा वीरा मल्लू’ में Pawan Kalyan का किरदार भी कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है, जो शायद ब्रिटिश उपनिवेशवाद या तत्कालीन मुगल शासन के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ खड़ा है।
- जननायक की छवि: एनटीआर और एमजीआर दोनों को ही जनता ने एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जो उनके अधिकारों के लिए लड़ता था। Pawan Kalyan, जो खुद राजनीति में सक्रिय हैं और जनता के मुद्दों को उठाते रहते हैं, ‘हरि हारा वीरा मल्लू’ में इस जननायक की छवि को और मजबूत कर सकते हैं। फिल्म में उनके किरदार का ‘डाकू’ होना, लेकिन गरीबों का हमदर्द होना, एमजीआर की कई फिल्मों के नायकों से समानता रखता है।
- पौराणिक/ऐतिहासिक स्पर्श: एनटीआर ने पौराणिक किरदारों को अमर किया, वहीं एमजीआर ने ऐतिहासिक और सामाजिक किरदारों में अपनी छाप छोड़ी। ‘हरि हारा वीरा मल्लू’ एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है, और Pawan Kalyan का किरदार एक ऐसे व्यक्ति का है जो इतिहास में अपना नाम दर्ज कराता है। यह एनटीआर की ऐतिहासिक भूमिकाओं से भी प्रेरणा ले सकता है।
निष्कर्ष:
यह कहना जल्दबाजी होगी कि Pawan Kalyan का किरदार सीधे तौर पर एनटीआर या एमजीआर से प्रेरित है। हालांकि, फिल्म की थीम, Pawan Kalyan की ऑन-स्क्रीन उपस्थिति और जिस तरह से फिल्म एक जन-नायक की कहानी को दर्शाने का प्रयास कर रही है, वह निश्चित रूप से दक्षिण भारतीय सिनेमा के इन दो दिग्गजों की विरासत की याद दिलाती है। एनटीआर और एमजीआर ने अपनी फिल्मों के माध्यम से दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी, और ‘हरि हारा वीरा मल्लू’ के जरिए पवन कल्याण भी शायद उसी रास्ते पर चलते हुए एक नए युग के जननायक के रूप में उभरना चाहते हैं। फिल्म की रिलीज के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि पवन कल्याण का ‘हरि हारा वीरा मल्लू’ का किरदार इन महान हस्तियों की विरासत को कितनी गहराई से आत्मसात करता है।