Friday, August 1, 2025
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Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे पर विपक्ष की अटकलें और षड्यंत्र के सिद्धांत

उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar के अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। सोमवार शाम को आए इस चौंकाने वाले घटनाक्रम के बाद से विपक्ष में अटकलों और षड्यंत्र के सिद्धांतों का बाजार गर्म हो गया है, जबकि सरकार की ओर से स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया है। धनखड़ ने अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा, जिसमें उन्होंने तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था।

विपक्ष की प्रतिक्रिया: ‘स्वास्थ्य से कहीं अधिक’

विपक्षी दलों ने, विशेष रूप से कांग्रेस ने, धनखड़ के इस अचानक कदम को “चौंकाने वाला” और “अस्पष्ट” करार दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि बेशक Jagdeep Dhankhar को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके इस बिल्कुल अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिखाई दे रहा है, उससे कहीं अधिक है। रमेश ने यह भी बताया कि सोमवार को ही वह और कई अन्य सांसद धनखड़ से मिले थे, और कुछ घंटे पहले ही उनसे फोन पर भी बात हुई थी। उस समय धनखड़ ने स्वास्थ्य संबंधी कोई चिंता नहीं जताई थी और मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करने वाले थे, जिसमें न्यायपालिका से संबंधित कुछ बड़ी घोषणाएं होने की उम्मीद थी।

रमेश ने इस बात पर जोर दिया कि धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान सरकार और विपक्ष दोनों को समान रूप से जवाबदेह ठहराया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से Jagdeep Dhankhar को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने का आग्रह भी किया, यह कहते हुए कि यह “राष्ट्र के हित में होगा” और विशेष रूप से “किसान समुदाय को बहुत राहत मिलेगी।”

कुछ अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इस इस्तीफे के समय पर सवाल उठाए हैं। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने जयराम रमेश के इस दावे को खारिज कर दिया कि धनखड़ का कार्यकाल संतुलित था। उन्होंने याद दिलाया कि विपक्ष को एक बार उनके “पक्षपातपूर्ण आचरण” के कारण उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सांसद महुआ माझी ने कहा कि “आज सदन में हमें ऐसा नहीं लगा कि वह आज ही इस्तीफा देने वाले थे। अटकलें हैं कि इसके पीछे कोई और कारण हो सकता है।”

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं ने भी इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और इसे “स्वास्थ्य से अधिक राजनीतिक” करार दिया है। उन्होंने बिहार चुनावों से पहले इसे भाजपा की रणनीति से भी जोड़ा है। कुछ ने यह भी कयास लगाए कि क्या धनखड़ का इस्तीफा बिहार में मतदाता सूची और “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे मुद्दों से बचने के लिए था।

अटकलों का बाजार गर्म

Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे के बाद से राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं:

  • स्वास्थ्य बनाम राजनीतिक कारण: हालांकि धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन विपक्ष के अनुसार इसके पीछे गहन राजनीतिक कारण हो सकते हैं। कुछ का मानना है कि राज्यसभा में उनके और सरकार के बीच या न्यायपालिका से संबंधित किसी मुद्दे पर मतभेद रहा होगा।
  • भाजपा की भावी रणनीति: भाजपा के भीतर भी इस पर मंथन चल रहा है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ के इस्तीफे से न केवल सरकार के भीतर, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर भी बड़े बदलावों की संभावना बढ़ गई है। भाजपा को अब एक ऐसे व्यक्ति का चुनाव करना होगा जो संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में निपुण हो और संसदीय प्रक्रिया का अच्छा अनुभव रखता हो, खासकर जब सरकार ‘वन कंट्री, वन इलेक्शन’ जैसे बड़े विधेयकों को लाने की योजना बना रही है।
  • नेतृत्व में बदलाव के संकेत: कुछ लोग इसे भाजपा के भीतर एक बड़े नेतृत्व परिवर्तन की ओर संकेत के रूप में भी देख रहे हैं। हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के 75 साल की उम्र के नेताओं के संबंध में दिए गए बयान को भी इससे जोड़ा जा रहा है, क्योंकि जगदीप धनखड़ 74 वर्ष के हैं।
  • मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं: इन राजनीतिक बदलावों के बीच मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें भी तेज हो गई हैं।

संविधान और आगे की प्रक्रिया

भारत के संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार, उपराष्ट्रपति किसी भी समय राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपने पद से इस्तीफा दे सकता है। Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे के बाद, उपसभापति फिलहाल राज्यसभा के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे, जब तक कि नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता। भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के माध्यम से होता है। संविधान के अनुसार, पद खाली होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराया जाना चाहिए।

फिलहाल, Jagdeep Dhankhar के इस्तीफे से उत्पन्न हुई राजनीतिक अनिश्चितता और अटकलों का दौर जारी है, और आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस अप्रत्याशित कदम के पीछे के असली कारण क्या थे और इसका भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

हलीमा खलीफा
हलीमा खलीफाhttps://www.khalifapost.com/
हलीमा खलीफा एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं जो पहचान, संस्कृति और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर लिखती हैं। उनके आगामी कार्यों के अपडेट के लिए Khalifapost.com पर बने रहें।
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