Friday, August 1, 2025
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NISAR Satellite ‘शक्ति ही शक्ति का सम्मान करती है’ का प्रतीक: इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के संयुक्त मिशन निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह के सफल प्रक्षेपण ने एक बार फिर भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति को विश्व पटल पर स्थापित कर दिया है। इसी कड़ी में, इसरो के प्रमुख डॉ. वी. नारायणन के साथ एक विशेष साक्षात्कार में NISAR Satellite को “जीवन रक्षक उपग्रह” करार दिया और कहा कि यह मिशन इस बात का प्रतीक है कि “शक्ति ही शक्ति का सम्मान करती है।”

डॉ. नारायणन ने निसार मिशन पर गहरा गर्व व्यक्त करते हुए इसे अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते नेतृत्व का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा, “यह भारत के लिए एक और महान दिन होने जा रहा है। एक कहावत है – ताकत ही ताकत का सम्मान करती है।” उनका यह बयान भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते अंतरिक्ष सहयोग और भारत की तकनीकी क्षमताओं पर प्रकाश डालता है।

एक ऐतिहासिक यात्रा: आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

डॉ. नारायणन ने भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में यात्रा को भी याद किया, जिसकी शुरुआत 1975 में रूस के समर्थन से भारत के पहले उपग्रह, आर्यभट्ट के प्रक्षेपण से हुई थी। उन्होंने बताया, “उस विनम्र शुरुआत से, जब भारत उपग्रह प्रौद्योगिकी के लिए अन्य देशों पर निर्भर था, हम अब धीरे-धीरे एक नेतृत्वकारी भूमिका में आ रहे हैं।” उनका कहना था कि आज दो महान देश एक साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण उपग्रह का निर्माण कर रहे हैं, और उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि इसे भारतीय धरती से ही हमारे अपने रॉकेट से प्रक्षेपित किया जा रहा है।

निसार: पृथ्वी के लिए एक गेम चेंजर

निसार उपग्रह को दुनिया का सबसे महंगा नागरिक पृथ्वी इमेजिंग उपग्रह माना जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत $1.5 बिलियन (लगभग ₹13,000 करोड़) है। नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित, यह उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark 2 (GSLV Mk II) द्वारा प्रक्षेपित किया गया है।

यह मिशन पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों की निगरानी के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन, हिमनदों का पिघलना, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और कार्बन अवशोषण जैसी घटनाएं शामिल हैं। निसार में दो उन्नत उपकरण लगे हैं – एक नासा द्वारा विकसित एल-बैंड रडार और दूसरा इसरो द्वारा विकसित एस-बैंड रडार। ये दोनों मिलकर पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली, गहराई से और सटीक जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे यह हमारी पृथ्वी का एक 360-डिग्री स्कैनर बन जाएगा।

जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका

निसार हर 12 दिन में पृथ्वी के लगभग संपूर्ण भूमि क्षेत्र और बर्फीली सतहों को स्कैन करेगा। इससे मिलने वाला डेटा वैज्ञानिकों को पृथ्वी की जटिल प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। यह डेटा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ट्रैक करने, प्राकृतिक आपदाओं (जैसे बाढ़, भूकंप और सुनामी) की निगरानी करने और कृषि व जल संसाधनों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस उपग्रह से प्राप्त जानकारी जीवन बचाने और वैश्विक विज्ञान को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।

निसार मिशन केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत और अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग और विश्वास का भी प्रतीक है। यह प्रदर्शित करता है कि कैसे दो बड़े लोकतांत्रिक देश मानवता के लाभ के लिए मिलकर काम कर सकते हैं, और यह वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व को रेखांकित करता है। निसार वास्तव में ‘शक्ति ही शक्ति का सम्मान करती है’ की भावना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो भारत को अंतरिक्ष में एक उभरते हुए नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करता है।

हलीमा खलीफा
हलीमा खलीफाhttps://www.khalifapost.com/
हलीमा खलीफा एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं जो पहचान, संस्कृति और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर लिखती हैं। उनके आगामी कार्यों के अपडेट के लिए Khalifapost.com पर बने रहें।
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