प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर Japan पहुंच गए हैं। यह यात्रा भारत और Japan के बीच संबंधों को एक नई ऊंचाई देने के उद्देश्य से हो रही है। इस दौरे का मुख्य आकर्षण 15वां भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी अपने जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह लगभग सात साल बाद प्रधानमंत्री मोदी का पहला जापान का दौरा है।
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देशों ने पिछले एक दशक में अपनी “विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” को लगातार मजबूत किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी रवानगी से पहले एक बयान जारी कर कहा था कि इस यात्रा से राष्ट्रीय हितों को मजबूती मिलेगी और यह भारत-Japan के सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देश आर्थिक और निवेश संबंधों का दायरा बढ़ाने के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में साझेदारी को भी आगे बढ़ाएंगे।
प्रमुख मुद्दे और एजेंडा
इस यात्रा का एजेंडा काफी व्यापक है और इसमें कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा होने की उम्मीद है:
- रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग: दोनों देश रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर देंगे। इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा प्रौद्योगिकी के सह-विकास पर चर्चा हो सकती है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों का साझा दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है, और इस पर गहन चर्चा होने की संभावना है।
- आर्थिक और निवेश संबंध: जापान भारत में पांचवां सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक (FDI) है। इस दौरे के दौरान जापान भारत में 10 ट्रिलियन येन तक के नए सार्वजनिक और निजी निवेश का लक्ष्य घोषित कर सकता है, जो पिछले 5 ट्रिलियन येन के लक्ष्य को पार कर गया है। प्रधानमंत्री मोदी का एक जापानी सेमीकंडक्टर फैक्ट्री का दौरा भी निर्धारित है, जो इस क्षेत्र में दोनों देशों की गहरी साझेदारी को दर्शाता है।
- यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देशों ने पिछले एक दशक में अपनी “विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” को लगातार मजबूत किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी रवानगी से पहले एक बयान जारी कर कहा था कि इस यात्रा से जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह लगभग सात साल बाद प्रधानमंत्री मोदी का पहला जापान का दौरा है।
- यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देशों ने पिछले एक दशक में अपनी “विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” को लगातार मजबूत किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी रवानगी से पहले एक बयान जारी कर कहा था कि इस यात्रा से राष्ट्रीय हितों को मजबूती मिलेगी और यह और यह शुरू करने पर विचार कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी और नवाचार में तालमेल बिठाना है।
- बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी: मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना (बुलेट ट्रेन) दोनों देशों के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इस दौरे में परियोजना की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। यह परियोजना न केवल तकनीकी सहयोग का एक मॉडल है, बल्कि यह भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में जापान के योगदान को भी दर्शाती है।
- लोगों के बीच संबंध: प्रधानमंत्री मोदी जापान में भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे। यह संबंध दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करता है।
यात्रा का महत्व
यह यात्रा केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है। यह भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” और जापान की “मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक” (Free and Open Indo-Pacific – FOIP) रणनीति को और मजबूत करती है। दोनों देश समान मूल्यों को साझा करते हैं और एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में विश्वास रखते हैं।
Japan से, प्रधानमंत्री मोदी चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना होंगे। यह उनकी बहु-आयामी विदेश नीति को दर्शाता है, जिसमें वे प्रमुख द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ महत्वपूर्ण बहुपक्षीय मंचों पर भी सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहे हैं।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी का यह जापान दौरा दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग को एक नया आयाम देगा, जो न केवल उनके राष्ट्रीय हितों के लिए बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।