मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे Manoj Jarange Patil ने मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने घोषणा की है कि अगर उन्हें ‘गोली भी मार दी जाए, तो वह पीछे नहीं हटेंगे’। यह हड़ताल जालना जिले में उनके गांव से हजारों समर्थकों के साथ गाड़ियों के काफिले के बाद शुरू हुई, जिसने मुंबई के ट्रैफिक को लगभग ठप्प कर दिया था। जरांगे पाटिल इस आंदोलन के प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं।
मुख्य मांगें और सरकार के साथ टकराव
Manoj Jarange Patil की मुख्य मांग पूरे मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल करना है। उनका कहना है कि सभी मराठाओं को कुणबी के रूप में मान्यता दी जाए, जो पहले से ही ओबीसी सूची में शामिल एक कृषक जाति है। इससे उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने सरकार द्वारा मराठाओं के लिए दिए गए 10% अलग कोटे को खारिज कर दिया है, उनका तर्क है कि यह कानूनी चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएगा, जबकि ओबीसी श्रेणी के तहत मिलने वाला आरक्षण टिकाऊ होगा।
सरकार ने फिलहाल उन्हें आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन के लिए केवल एक दिन की अनुमति दी है, जिसमें गाड़ियों और प्रदर्शनकारियों की संख्या सीमित की गई है। जरांगे पाटिल ने इस सीमित अनुमति की खुले तौर पर आलोचना की है और इसे समुदाय का अपमान बताया है। उन्होंने यह भी प्रण लिया है कि वह अपनी मांगें पूरी होने तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे। उनके इस अड़े रुख ने राज्य सरकार के लिए एक सीधी चुनौती पेश कर दी है, जिसे इस मुद्दे को सुलझाने का दबाव है। हालांकि, सरकार को मौजूदा ओबीसी समुदायों की नाराजगी का भी डर है, जो जवाबी विरोध प्रदर्शन की धमकी दे रहे हैं।
शहर में तनाव और आंदोलन का संकल्प
इस विरोध प्रदर्शन के कारण मुंबई में महत्वपूर्ण मार्ग जैसे ईस्टर्न फ्रीवे और सायन-पनवेल हाईवे को बंद करना पड़ा, जिससे शहर में यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। हजारों समर्थक, जिनमें से कई भगवा टोपी पहने और झंडे लिए हुए थे, शहर में जमा हो गए, जिनकी संख्या पुलिस द्वारा निर्धारित 5,000 की सीमा से कहीं ज्यादा थी। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 1,500 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है, साथ ही सीआरपीएफ, आरएएफ और सीआईएसएफ की अतिरिक्त टुकड़ियां भी मौजूद हैं।
यह आंदोलन अधिकारियों के लिए एक और जटिलता पैदा कर रहा है, क्योंकि यह गणेश चतुर्थी के त्योहार के साथ हो रहा है। Manoj Jarange Patil ने शांति बनाए रखने की अपील की है और अपने समर्थकों से जनता को परेशान न करने का आग्रह किया है, यह स्वीकार करते हुए कि त्योहार और मुंबई के निवासियों के दैनिक जीवन को बाधित न करना महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद, प्रदर्शनकारियों की भारी संख्या के कारण व्यापक ट्रैफिक जाम हुआ, जिससे यात्रियों और कानून प्रवर्तन दोनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है।
Manoj Jarange Patil के बयानों और बड़े पैमाने पर हुए इस लामबंदी से आंदोलन का दृढ़ संकल्प स्पष्ट है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सीधे अपील की है, उनसे “मराठा समुदाय का दिल जीतने का सुनहरा अवसर” पकड़ने और उनकी मांग पूरी करने का आग्रह किया है। स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, दोनों पक्ष बातचीत की इच्छा जता रहे हैं, लेकिन अपनी-अपनी मांगों पर अडिग हैं। आने वाले दिन मराठा आरक्षण आंदोलन और महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति के भविष्य को तय करने में महत्वपूर्ण होंगे।