साल 2022 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘कांतारा’ ने भारतीय सिनेमा के सामने लोक कथाओं, आस्था और प्रकृति के संघर्ष का एक नया और भव्य अध्याय खोला था। इस फिल्म की सफलता ने इसके प्रीक्वल, ‘Kantara Chapter 1’ से उम्मीदों का पहाड़ खड़ा कर दिया था। लेखक, निर्देशक और अभिनेता तीनों भूमिकाओं में कमान संभाल रहे ऋषभ शेट्टी ने दर्शकों की इन उम्मीदों को न केवल पूरा किया है, बल्कि सिनेमाई भव्यता और भावनात्मक गहराई के एक नए शिखर को छुआ है। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक विस्मयकारी और मंत्रमुग्ध कर देने वाला अनुभव है।
कहानी: सदियों पुरानी आस्था का आरंभ
‘Kantara Chapter 1’ हमें उस मूल कथा की जड़ तक ले जाती है, जहाँ से ‘कांतारा’ यूनिवर्स की शुरुआत हुई थी। कहानी की पृष्ठभूमि प्री-कोलोनियल कर्नाटक के कदंब राजवंश काल पर आधारित है। यह समय सत्ता के लालच और प्रकृति के संरक्षण के बीच संघर्ष का साक्षी है।
कहानी राजा विजयेंद्र (जयराम) और उसके क्रूर बेटे कुलशेखर (गुलशन देवैया) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनका लालच जंगल की ज़मीन और उसके संसाधनों पर कब्ज़ा करना चाहता है। इस संघर्ष के केंद्र में खड़ा है बर्मे (ऋषभ शेट्टी), जो ‘कांतारा’ नामक उस पवित्र भूमि का रक्षक है जिसे स्थानीय जनजातियां ‘ईश्वर का मधुवन’ मानती हैं। बर्मे न केवल अपने लोगों का नेता है, बल्कि वह पंजुरली दैवीय शक्ति का प्रतीक भी है। यह फिल्म बताती है कि दैवीय शक्तियों, पूर्वजों के संघर्ष और प्रकृति के साथ मनुष्य के जटिल रिश्ते की नींव कहाँ से पड़ी, और कैसे बर्मे इस पवित्र भूमि और अपनी संस्कृति को बचाने के लिए सर्वस्व दाँव पर लगा देता है।
ऋषभ शेट्टी का निर्देशन और अभिनय: दैवीय अवतार
ऋषभ शेट्टी ने इस बार अपने निर्देशन में एक अलग ही स्तर की महत्वाकांक्षा दिखाई है। 125 करोड़ रुपये के बजट का पूरा असर पर्दे पर दिखता है। फिल्म की वर्ल्ड-बिल्डिंग, यानी एक प्राचीन, रहस्यमय और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध संसार का निर्माण करना, अद्भुत है। पहले हाफ में कहानी की नींव रखने में थोड़ा समय लगता है, जिससे गति धीमी महसूस हो सकती है, लेकिन जैसे ही कहानी पटरी पर आती है, वह दर्शकों को अपनी पकड़ में कस लेती है।
अभिनय की बात करें तो, ऋषभ शेट्टी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह आज के दौर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक क्यों हैं। बर्मे के किरदार में उनकी शारीरिक भाषा, क्रूरता और भावनात्मक गहराई अविश्वसनीय है। फिल्म का असली जादू और जान क्लाइमेक्स में उतरता है। क्लाइमेक्स के अंतिम 10 मिनट सिर्फ एक्शन नहीं हैं, बल्कि यह रौंगटे खड़े कर देने वाला भावुक, अलौकिक और विजुअली शानदार अनुभव है। शेट्टी का ‘रोद्र रूप’ दर्शकों को सिनेमा हॉल में बैठे-बैठे ही एक अलग आयाम में ले जाता है।
तकनीकी पक्ष: हर विभाग में अव्वल
फिल्म को भव्य बनाने में इसके तकनीकी पक्ष ने कोई कसर नहीं छोड़ी है:
- बैकग्राउंड म्यूजिक (बीजीएम): बी. अजनीश लोकनाथ का संगीत फिल्म की आत्मा है। उनका बीजीएम सिर्फ दृश्यों को नहीं, बल्कि भावनाओं को भी गहराई देता है। वह पारंपरिक वाद्य यंत्रों और आधुनिक ध्वनि का ऐसा मिश्रण तैयार करते हैं, जो उत्साह, भय और आस्था के हर पल को जीवंत कर देता है।
- सिनेमेटोग्राफी: कैमरा वर्क शानदार है। कर्नाटक के हरे-भरे जंगल, विशाल सेट और एक्शन सीक्वेंस को खूबसूरती से कैप्चर किया गया है।
- एक्शन कोरियोग्राफी: एक्शन कोरियोग्राफी (टोडोर) दमदार है। युद्ध के दृश्य ऐतिहासिक वॉर ड्रामा फिल्मों को टक्कर देते हैं।
आखिरी फैसला
‘Kantara Chapter 1’ एक ऐसी फिल्म है जो अपनी संस्कृति, लोककथाओं और मजबूत आस्था की जड़ से जुड़ी हुई है। यह सिर्फ मनोरंजन नहीं करती, बल्कि दर्शकों को एक अनूठी पौराणिक यात्रा पर ले जाती है। भले ही पहला हाफ कुछ दृश्यों के कारण थोड़ा लंबा लगे, लेकिन दूसरा हाफ और विशेष रूप से इसका क्लाइमेक्स इसे साल की सबसे शानदार फिल्मों में से एक बनाता है।
जो दर्शक भारतीय लोक कथाओं और बेहतरीन सिनेमाई अनुभव की तलाश में हैं, उनके लिए ‘Kantara Chapter 1’ देखना अनिवार्य है। यह ऋषभ शेट्टी का एक मास्टरपीस है जो ‘वन बैटल आफ्टर अनदर’ की तरह लगातार विस्मय और आनंद देता रहता है।