Japan, अपनी अद्भुत इंजीनियरिंग और तकनीकी प्रगति के लिए विश्व भर में जाना जाता है। इसी कड़ी में ओसाका खाड़ी में निर्मित कंसाई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (Kansai International Airport – KIX) भी एक ऐसा ही चमत्कार था, जिसे कृत्रिम द्वीपों पर बनाया गया था। यह हवाई अड्डा, जो 1994 में खुला था, अपने समय में इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन नमूना माना जाता था। हालांकि, अब यह विशाल संरचना धीरे-धीरे समुद्र में समाती जा रही है, जिसने दुनिया भर के इंजीनियरों और विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है।
पृष्ठभूमि और निर्माण की चुनौती:
कंसाई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण ओसाका के मौजूदा हवाई अड्डे पर बढ़ते दबाव को कम करने और रात भर के परिचालन के लिए एक नए केंद्र की आवश्यकता के कारण हुआ था। चूंकि आसपास की भूमि का अधिकांश हिस्सा पहले से ही आबाद था या कृषि उपयोग में था, इसलिए समुद्र में एक कृत्रिम द्वीप बनाने का निर्णय लिया गया। यह एक अभूतपूर्व परियोजना थी जिसमें $20 बिलियन से अधिक का खर्च आया।
इस परियोजना में सबसे बड़ी चुनौती नरम समुद्री मिट्टी पर एक स्थिर आधार बनाना था। इंजीनियरों ने समुद्र तल को मजबूत करने के लिए लाखों सैंड ड्रेन पाइप डाले और पानी सोखने वाले कंक्रीट ब्लॉक का इस्तेमाल किया। एक मजबूत समुद्री दीवार भी बनाई गई ताकि हवाई अड्डे को तूफान और समुद्री लहरों से बचाया जा सके।
डूबने के मुख्य कारण:
कंसाई हवाई अड्डे के डूबने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ निर्माण के समय की गलतियों और कुछ प्राकृतिक कारकों से संबंधित हैं:
- नरम समुद्री मिट्टी का असामान्य संपीड़न (Unusual Compression of Soft Marine Clay): हवाई अड्डे के नीचे की मिट्टी, मुख्य रूप से नरम समुद्री मिट्टी (soft marine clay) है, जो उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से और असमान रूप से संपीड़ित हो रही है। इंजीनियरों ने शुरू में अनुमान लगाया था कि हवाई अड्डा कुछ फीट तक धंसेगा, लेकिन निर्माण के दौरान ही यह अनुमान से कहीं ज्यादा धंस गया। शुरुआती अनुमान था कि यह केवल 19-25 फीट तक धंसेगा, लेकिन लॉन्च से पहले ही यह लगभग 34 फीट धंस चुका था। यह लगातार धंसना जारी है, और कुछ स्थानों पर यह अब तक 17 मीटर से भी अधिक धंस चुका है।
- असमान धंसाव (Uneven Subsidence): मिट्टी की परतें असमान होने के कारण, हवाई अड्डा भी असमान रूप से धंस रहा है। यह असमान धंसाव हवाई अड्डे की संरचना पर अतिरिक्त दबाव डालता है और उसकी स्थिरता को प्रभावित करता है। हालांकि इंजीनियरों ने इसे संतुलित रखने के लिए हाइड्रोलिक जैक और अन्य प्रणालियों का उपयोग किया है, फिर भी यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- हवाई अड्डे का भारी वजन (Heavy Weight of the Airport): कृत्रिम द्वीप और उस पर बनी विशाल टर्मिनल इमारतें और रनवे का भारी वजन नरम मिट्टी पर अत्यधिक दबाव डालता है, जिससे संपीड़न की प्रक्रिया और तेज हो जाती है।
- समुद्र का बढ़ता जलस्तर (Rising Sea Levels): जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे हवाई अड्डे पर पानी के दबाव में वृद्धि हो रही है। यह भविष्य में हवाई अड्डे के लिए एक और बड़ी चुनौती बन गया है। 2018 में आए टाइफून जेबी (Typhoon Jebi) के दौरान हवाई अड्डे पर भारी बाढ़ आ गई थी, जिससे इसकी भेद्यता उजागर हुई।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियां:
वर्तमान में, कंसाई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अभी भी चालू है और 2024 में इसे लगेज हैंडलिंग के लिए दुनिया का सर्वश्रेष्ठ हवाई अड्डा घोषित किया गया है। यह 91 अंतर्राष्ट्रीय शहरों से जुड़ा हुआ है और प्रति वर्ष लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करता है। हालांकि, धंसने की दर अभी भी चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि वर्तमान दर से धंसना जारी रहा, तो 2056 तक हवाई अड्डे का कुछ हिस्सा समुद्र के स्तर तक पहुंच सकता है।
जापानी सरकार और इंजीनियर इस समस्या से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। समुद्री दीवारों को मजबूत करने और पानी के दबाव को कम करने के लिए वर्टिकल सैंड ड्रेन सिस्टम जैसे उपायों पर $150 मिलियन से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। इंजीनियर हाइड्रोलिक जैक का उपयोग करके हवाई अड्डे को ऊपर उठाने और उसकी स्थिरता बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
कंसाई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का डूबना केवल एक इंजीनियरिंग चुनौती नहीं है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन और बड़े पैमाने पर निर्मित बुनियादी ढांचे पर पड़ने वाले प्रभावों का भी एक स्पष्ट उदाहरण है। जापान के लिए इस हवाई अड्डे को चालू रखना न केवल परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भविष्य के ऐसे बड़े पैमाने के विकास परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सीख भी प्रदान करता है।