हाल ही में भारत ने अपनी Agni-5 इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह परीक्षण देश की सामरिक क्षमताओं को एक बड़ा बढ़ावा देता है, और यह दिखाता है कि भारत अपनी रक्षा तैयारियों को लगातार मजबूत कर रहा है। यह परीक्षण रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से किया गया। इस लॉन्च के दौरान, मिसाइल के सभी तकनीकी और परिचालन मापदंडों को सफलतापूर्वक सत्यापित किया गया, जो सामरिक बल कमान (Strategic Forces Command – SFC) की देखरेख में हुआ।
अग्नि-5 की ख़ासियतें और इसका महत्व
Agni-5 मिसाइल को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। यह मिसाइल 5,000 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता रखती है, जो इसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के करीब लाती है। यह मिसाइल परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह के वारहेड ले जाने में सक्षम है। इसका सफल परीक्षण भारत की “विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध” (credible minimum deterrence) की नीति को और मजबूत करता है।
Agni-5 की सबसे बड़ी विशेषता इसकी MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle) तकनीक है, जिसका परीक्षण 11 मार्च 2024 को “मिशन दिव्यास्त्र” के तहत किया गया था। इस तकनीक के कारण, एक ही मिसाइल कई अलग-अलग लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकती है। यह क्षमता भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा कर देती है, जिनके पास ऐसी उन्नत तकनीक है।
मिसाइल को कैनिस्टर लॉन्च सिस्टम के साथ डिजाइन किया गया है, जिसका मतलब है कि इसे सड़क या रेल जैसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है। इससे मिसाइल की गतिशीलता और लचीलापन बढ़ जाता है, जिससे इसे कहीं भी तैनात किया जा सकता है और दुश्मन के लिए इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
Agni-5 का सफल परीक्षण पड़ोसी देशों, विशेषकर चीन और पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ा सकता है। यह मिसाइल पूरे चीन और एशिया के कुछ हिस्सों के साथ-साथ यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों को भी अपनी जद में ले सकती है। यह भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती देता है और यह सुनिश्चित करता है कि देश किसी भी बाहरी खतरे का प्रभावी ढंग से जवाब दे सके। यह परीक्षण भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।