Tuesday, October 7, 2025
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India-Japan: सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा

India-Japan ने हाल ही में सुरक्षा और रक्षा सहयोग को और गहरा करने के लिए एक ऐतिहासिक संयुक्त घोषणा पर सहमति व्यक्त की है। यह कदम दोनों देशों के बीच “विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” को एक नए स्तर पर ले जाता है, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बदलती भू-राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर। चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच, यह समझौता दोनों देशों की साझा प्राथमिकताओं और एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

घोषणापत्र के मुख्य बिंदु

यह घोषणापत्र कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिनमें सैन्य अभ्यास, तकनीकी सहयोग और रणनीतिक साझेदारी शामिल हैं।

  1. सैन्य और नौसैनिक सहयोग: दोनों देशों ने अपनी सेनाओं के बीच अधिक जटिल और उन्नत सैन्य अभ्यास करने का संकल्प लिया है। इसमें नौसेनाओं और तटरक्षकों के बीच नियमित अभ्यास और बंदरगाह यात्राएं शामिल हैं। इसके अलावा, समुद्री निगरानी, समुद्री अपराधों के खिलाफ कानून प्रवर्तन और आपदा प्रबंधन में साझेदारी पर भी सहमति बनी है।
  2. रक्षा प्रौद्योगिकी और सह-उत्पादन: घोषणापत्र में रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी के सह-विकास और सह-उत्पादन की संभावनाओं का अध्ययन करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए, रक्षा उद्योग फोरम को फिर से सक्रिय करने और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और जापान की ATLA के बीच सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इस कदम से दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होगी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
  3. गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ: दोनों देशों ने आतंकवाद-रोधी, शांति स्थापना, और साइबर रक्षा जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग को गहरा करने का फैसला किया है। इसके अतिरिक्त, अंतरिक्ष क्षेत्र में स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस और अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन पर मिलकर काम करने का निर्णय लिया गया है। यह गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  4. द्विपक्षीय संवाद और रणनीतिक समन्वय: समझौते के तहत, दोनों देशों के बीच बहुस्तरीय संवाद को और मजबूत किया जाएगा। इसमें विदेश और रक्षा मंत्रियों की 2+2 वार्ता, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की वार्षिक बैठकें, और आर्थिक सुरक्षा संवाद शामिल हैं। यह उच्च-स्तरीय संवाद दोनों देशों के बीच रणनीतिक मुद्दों पर बेहतर समन्वय स्थापित करने में मदद करेगा।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और महत्व

यह संयुक्त घोषणापत्र 2008 में जारी की गई “सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा” का एक अद्यतन और विस्तारित संस्करण है। पिछले कुछ वर्षों में, India-Japan के बीच रक्षा संबंध लगातार मजबूत हुए हैं, जिसमें 2015 का रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता और 2020 का आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान समझौता (ACSA) महत्वपूर्ण हैं। इन समझौतों ने दोनों देशों को एक दूसरे के साथ सैन्य लॉजिस्टिक्स और सहायता साझा करने की अनुमति दी है।

यह नया घोषणापत्र दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह न केवल चीन की विस्तारवादी नीतियों का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत ढाँचा प्रदान करता है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए उनकी साझा दृष्टि को भी पुष्ट करता है। यह साझेदारी दोनों देशों की आर्थिक और रणनीतिक स्वायत्तता को भी मजबूत करेगी।

हलीमा खलीफा
हलीमा खलीफाhttps://www.khalifapost.com/
हलीमा खलीफा एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं जो पहचान, संस्कृति और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर लिखती हैं। उनके आगामी कार्यों के अपडेट के लिए Khalifapost.com पर बने रहें।
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