हाल ही में, भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। अमेरिकी टैरिफ और व्यापार युद्ध की चुनौतियों के बीच, भारत ने BRICS जैसे बहुपक्षीय मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है, और इसके साथ ही, चीन के साथ अपने संबंधों में भी सुधार लाने की पहल की है। यह एक ऐसा रणनीतिक कदम है जो भारत के हितों की रक्षा करने और एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में अपनी भूमिका को बढ़ाने पर केंद्रित है।
अमेरिका-भारत संबंधों में चुनौतियाँ
हाल के दिनों में, अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए व्यापार शुल्क और टैरिफ ने दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर 25% तक का भारी शुल्क लगाया है। इसके अलावा, रूस से तेल खरीदने के कारण भी भारत पर अतिरिक्त प्रतिबंधों की धमकी दी गई। इन एकतरफा फैसलों ने भारत की अर्थव्यवस्था के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इन नीतियों का उद्देश्य भारत पर दबाव बनाना है, जिससे वह अपनी विदेश नीति में अमेरिका का पक्ष ले।
चीन के साथ संबंधों में सुधार की दिशा
अमेरिकी दबाव के बीच, भारत ने चीन के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बनाने का प्रयास शुरू किया है। हालाँकि, 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट आ गई थी, लेकिन अब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत फिर से शुरू हो गई है। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान एक औपचारिक बैठक हुई, जो पाँच साल में पहली बार थी। इसके अलावा, भारत और चीन ने देपसांग और डेमचोक जैसे सीमा विवादों को हल करने पर भी महत्वपूर्ण समझौते किए हैं। सीधी हवाई सेवाओं को फिर से शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा को बहाल करने जैसे कदम भी संबंधों को सामान्य करने की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत हैं।
BRICS की बढ़ती प्रासंगिकता
मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य में, BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। इस संगठन में हाल ही में कई नए सदस्य देशों को शामिल किया गया है, जिससे इसका वैश्विक प्रभाव और बढ़ गया है। ब्रिक्स के माध्यम से, भारत न केवल अपनी आर्थिक कूटनीति को मजबूत कर रहा है, बल्कि ग्लोबल साउथ के हितों का भी नेतृत्व कर रहा है। BRICS के सदस्य देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने और डॉलर पर निर्भरता कम करने पर भी सहमति बनी है। वर्ष 2026 में भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा और 18वें शिखर सम्मेलन की मेजबानी भी करेगा, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को और भी पुष्ट करेगा।
यह वीडियो बताता है कि कैसे भारत एक समय ब्रिक्स में सबसे कमजोर कड़ी माना जाता था, लेकिन अब यह एक मजबूत ताकत के रूप में उभरा है।