उत्तर प्रदेश के Greater Noida से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक युवक के मोबाइल बैंकिंग ऐप में अचानक ₹1.13 लाख करोड़ से अधिक का बैंक बैलेंस दिखाई दिया। यह राशि इतनी बड़ी थी कि इसे पढ़ना और समझना भी मुश्किल था। हालांकि, बाद में पता चला कि यह सब एक तकनीकी खराबी का नतीजा था। इस घटना ने एक बार फिर से डिजिटल बैंकिंग प्रणाली में संभावित खामियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
Greater Noida के दनकौर इलाके में रहने वाले 18 वर्षीय युवक [युवक का नाम, अगर उपलब्ध हो] ने जब सोमवार दोपहर अपना मोबाइल बैंकिंग ऐप खोला, तो वह अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर सका। उसके खाते में ₹1,13,56,000 करोड़ से अधिक की राशि दिखाई दे रही थी, जो कि 36 अंकों की एक विशाल संख्या थी। यह रकम दुनिया के कई देशों की कुल जीडीपी से भी कहीं ज्यादा थी। युवक ने तुरंत इस चौंकाने वाले बैलेंस का स्क्रीनशॉट लेकर अपने दोस्तों को दिखाया, जिन्होंने भी इसे देखकर हैरानी जताई।
बैंक ने क्या कहा?
इस विशाल राशि को देखकर युवक ने तत्काल बैंक से संपर्क करने का फैसला किया। जैसे ही वह बैंक पहुंचा और अधिकारियों को इस बारे में बताया, उन्होंने तुरंत खाते की जांच की। जांच के बाद बैंक अधिकारियों ने खुलासा किया कि यह कोई वास्तविक लेनदेन नहीं था, बल्कि एक तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ था। बैंक ने स्पष्ट किया कि खाते में असल में कोई पैसा जमा नहीं हुआ था और ऐप में दिख रही राशि सिर्फ एक सॉफ्टवेयर त्रुटि थी। सुरक्षा कारणों से बैंक ने तुरंत उस खाते को फ्रीज कर दिया और मामले की सूचना आयकर विभाग को भी दी गई।
तकनीकी खराबी का कारण
बैंक के सूत्रों के मुताबिक, यह तकनीकी खराबी एक थर्ड-पार्टी लोन ऐप से जुड़ी हुई थी, जिसका इस्तेमाल युवक करता था। ऐप में हुई गड़बड़ी के कारण बैंक खाते की यूपीआई आईडी में गलत राशि दिखाई देने लगी। बैंक अधिकारियों ने बताया कि युवक के खाते में असल में जीरो बैलेंस था और इस घटना से पहले ही सात दिन पहले खाते को फ्रीज कर दिया गया था।
डिजिटल सुरक्षा पर सवाल
यह घटना डिजिटल बैंकिंग की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रही है, वहीं इस तरह की घटनाएं उपभोक्ताओं के मन में डर पैदा कर सकती हैं। यह मामला दिखाता है कि सॉफ्टवेयर में छोटी सी भी खामी कितनी बड़ी और भ्रामक जानकारी दे सकती है, जिससे न सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि बैंकिंग प्रणाली पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
फिलहाल, आयकर विभाग इस मामले की जांच कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं यह किसी बड़ी साजिश या मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा तो नहीं है। हालांकि, बैंक और पुलिस दोनों ने इसे एक तकनीकी खराबी का ही मामला बताया है।