नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश के कर कानून में एक ऐतिहासिक बदलाव करते हुए Income-Tax अधिनियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है। यह नया कानून दशकों पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा और 1 अप्रैल, 2026 से पूरे देश में प्रभावी होगा। इस कदम का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और कुशल बनाना है, जिससे करदाताओं को अनुपालन में आसानी हो।
यह विधेयक हाल ही में संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था, जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक संशोधित विधेयक पेश किया था। इस नए अधिनियम को लेकर कर विशेषज्ञों और आम जनता के बीच काफी उत्साह है, क्योंकि यह न केवल कानूनी भाषा को सरल बनाता है, बल्कि करदाताओं के लिए कई महत्वपूर्ण राहतें भी प्रदान करता है।
क्यों लाया गया यह नया कानून?
पुराना Income-Tax अधिनियम, 1961 अपनी जटिलता और कई पुरानी धाराओं के कारण लंबे समय से आलोचना का विषय रहा है। इसमें बार-बार किए गए संशोधनों ने इसे और भी जटिल बना दिया था, जिससे आम आदमी के लिए इसे समझना मुश्किल हो गया था। इस नए कानून को लाने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करना है:
- कानून को सरल बनाना: नए कानून में धाराओं और अध्यायों की संख्या में भारी कमी की गई है। पुराने 47 अध्यायों और 819 धाराओं को घटाकर अब 23 अध्याय और 536 धाराएं कर दी गई हैं, जिससे कानून को समझना और उसका पालन करना आसान हो जाएगा।
- पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना: यह विधेयक कर प्रशासन को अधिक कुशल बनाने के लिए डिजिटल साधनों का उपयोग करने पर जोर देता है। इसमें डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से कर अनुपालन में सुधार करने और विवादों को कम करने के प्रावधान शामिल हैं।
- करदाताओं को राहत प्रदान करना: नए अधिनियम में कई ऐसे बदलाव किए गए हैं जो करदाताओं, विशेषकर मध्यम वर्ग, को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाएंगे।
प्रमुख विशेषताएं और महत्वपूर्ण बदलाव
नया आयकर अधिनियम 2025 करदाताओं के लिए कई अहम बदलाव लेकर आया है, जिनका सीधा प्रभाव उनकी वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा:
- टैक्स रिजीम में बदलाव: अब नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) डिफ़ॉल्ट रूप से लागू होगी। हालांकि, करदाताओं के पास पुरानी व्यवस्था को चुनने का विकल्प भी रहेगा।
- बढ़ी हुई छूट सीमा: नई व्यवस्था में बेसिक छूट सीमा को ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹4 लाख कर दिया गया है। इसके अलावा, धारा 87A के तहत कर छूट को ₹25,000 से बढ़ाकर ₹60,000 कर दिया गया है। इसका मतलब है कि ₹12 लाख तक की कर योग्य आय वाले व्यक्तियों को कोई टैक्स नहीं देना होगा, जिससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।
- टीडीएस और टीसीएस नियमों में सरलता: किराया, ब्याज, कमीशन और पेशेवर शुल्क जैसे कई मदों पर TDS (स्रोत पर कर कटौती) और TCS (स्रोत पर कर संग्रह) की सीमा को दोगुना या उससे अधिक कर दिया गया है। इससे छोटे लेनदेन पर कर कटौती की आवश्यकता कम होगी, जिससे करदाताओं के हाथ में ज्यादा पैसा रहेगा।
- ‘कर वर्ष’ की नई अवधारणा: यह विधेयक ‘आकलन वर्ष’ (Assessment Year) और ‘पिछले वर्ष’ (Previous Year) जैसी जटिल अवधारणाओं को हटाकर उनकी जगह एक सरल शब्द ‘कर वर्ष’ (Tax Year) का उपयोग करता है। यह बदलाव कर गणना और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को और भी सरल बना देगा।
- अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ी: यदि कोई करदाता किसी कारणवश समय पर अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाता है, तो उसे अब अपडेटेड रिटर्न (Updated ITR) दाखिल करने के लिए अधिक समय मिलेगा। इसकी समय सीमा को दो साल से बढ़ाकर चार साल कर दिया गया है।
विशेषज्ञों की राय
कर विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया कानून भारतीय कर प्रणाली में एक मील का पत्थर साबित होगा। उनका कहना है कि यह न केवल कर अनुपालन को बढ़ाएगा, बल्कि कानूनी विवादों को भी कम करेगा। करदाता अब कम बोझ और अधिक स्पष्टता के साथ अपने कर दायित्वों को पूरा कर पाएंगे।
यह नया अधिनियम भारत को एक आधुनिक और पारदर्शी कर व्यवस्था की ओर ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक होगा।