भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ नाम ऐसे दर्ज हैं, जिन्होंने अपनी कला, प्रतिभा और समर्पण से दर्शकों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी है। इन्हीं में से एक हैं अनुभवी अभिनेत्री B Saroja Devi, जिन्हें अक्सर ‘अभिनय सरस्वती’ और ‘कन्नड़थिल कनकंबरी’ जैसे सम्मानजनक नामों से पुकारा जाता है। दशकों लंबे करियर में, उन्होंने न केवल दक्षिण भारतीय सिनेमा बल्कि पूरे देश के फिल्मी परिदृश्य में एक प्रतिष्ठित चेहरा बनकर उभरीं। उनकी मोहक सुंदरता, सहज अभिनय क्षमता और बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया, जिसने हर भूमिका में जान फूंक दी।
प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत:
B Saroja Devi का जन्म 7 जनवरी, 1938 को कर्नाटक के बेंगलुरु में हुआ था। कला के प्रति उनकी स्वाभाविक रुचि और नृत्य के प्रति उनका लगाव बचपन से ही स्पष्ट था। कम उम्र में ही उन्होंने भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी जैसे शास्त्रीय नृत्यों का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। उनकी अद्भुत प्रतिभा और आकर्षक व्यक्तित्व ने जल्द ही फिल्म निर्माताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा।
उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1950 के दशक के मध्य में की थी। उनकी पहली प्रमुख भूमिका 1955 की कन्नड़ फिल्म “महाकवि कालिदासा” में थी। इस फिल्म में उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें तुरंत सुर्खियों में ला दिया और उन्हें दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग में एक उभरते सितारे के रूप में पहचान मिली।
दक्षिण भारतीय सिनेमा पर राज:
B Saroja Devi ने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और मलयालम जैसी विभिन्न भाषाओं में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है। उन्होंने तमिल सिनेमा में शिवाजी गणेशन और एम. जी. रामचंद्रन जैसे दिग्गजों के साथ कई सफल फिल्में दीं। उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री इन अभिनेताओं के साथ बेहद पसंद की जाती थी, जिससे कई ब्लॉकबस्टर फिल्में बनीं। तेलुगु सिनेमा में, उन्होंने एन. टी. रामा राव और अक्किनेनी नागेश्वर राव जैसे सितारों के साथ यादगार भूमिकाएं निभाईं।
उनकी कुछ सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में तमिल में “नाडोडि मन्नन,” “पुथिया पाथाई,” “कलायिल ओरु कथाल,” “अदुथा वीडु,” और कन्नड़ में “अमरशिल्पी जकना,” “किट्टूर रानी चेन्नम्मा,” “मायूर,” “बब्रुवाहन” शामिल हैं। उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रमाण यह था कि वह ऐतिहासिक, पौराणिक, सामाजिक और कॉमेडी फिल्मों में समान सहजता से अभिनय कर सकती थीं। उन्होंने हर किरदार को अपनी अनूठी शैली और सूक्ष्मता से निभाया।
राष्ट्रीय पहचान और सम्मान:
अपनी दक्षिण भारतीय सफलता के अलावा, सरोजा देवी ने कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया, जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। हालांकि उनकी हिंदी फिल्में सीमित थीं, लेकिन उन्होंने उन भूमिकाओं में भी अपनी छाप छोड़ी।
उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है। भारत सरकार ने उन्हें 1969 में पद्म श्री और 1992 में पद्म भूषण से सम्मानित किया, जो देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें कई फिल्मफेयर पुरस्कार, कर्नाटक राज्य फिल्म पुरस्कार और अन्य प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं।
विरासत और प्रभाव:
B Saroja Devi सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं थीं; वह एक प्रेरणा थीं। उन्होंने अपनी पीढ़ी की कई अभिनेत्रियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया और भारतीय सिनेमा में महिलाओं की भूमिका को फिर से परिभाषित किया। उनकी सहज सुंदरता, अभिव्यंजक आँखें और त्रुटिहीन अभिनय क्षमता ने उन्हें एक किंवदंती बना दिया।
आज भी, उनकी फिल्में टेलीविजन पर देखी जाती हैं और उनकी यादगार भूमिकाएं दर्शकों के दिलों में ताज़ा हैं। वह एक ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने सिर्फ मनोरंजन नहीं किया, बल्कि अपनी कला से लाखों लोगों को प्रभावित किया। B Saroja Devi वास्तव में भारतीय सिनेमा के एक अमर प्रतीक हैं, जिनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। वह एक ऐसी कलाकार थीं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम अध्याय लिखे।