नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति Trump द्वारा भारत के उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले ने भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। इस फैसले के बाद, कपड़ा निर्यात के प्रमुख केंद्र माने जाने वाले तिरुपुर, नोएडा और सूरत में कई कपड़ा इकाइयों ने उत्पादन रोक दिया है। निर्यातकों का कहना है कि बढ़े हुए शुल्क के कारण भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो गए हैं, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे हैं।
उच्च शुल्क से निर्यात पर संकट
भारतीय निर्यात संगठनों के संघ (FIEO) के अनुसार, अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है, जिसके बाद कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत तक हो गया है। कुछ मामलों में तो यह शुल्क 60 प्रतिशत से भी अधिक हो गया है। इस भारी भरकम शुल्क के कारण भारतीय कपड़ा उद्योग को सबसे ज्यादा झटका लगा है, जो मुख्य रूप से श्रम-प्रधान और कम मार्जिन वाला क्षेत्र है।
उत्पादन रोकने को मजबूर इकाइयां
तिरुपुर, जिसे “भारत की निटवियर राजधानी” कहा जाता है, नोएडा और सूरत जैसे शहरों में हजारों कपड़ा और परिधान निर्माण इकाइयां हैं, जो बड़े पैमाने पर अमेरिका को निर्यात करती हैं। इन इकाइयों को अब लागत बढ़ने और ऑर्डर रद्द होने की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई निर्यातकों ने बताया कि उनके अमेरिकी खरीदार अब कम शुल्क वाले देशों जैसे बांग्लादेश, वियतनाम और कंबोडिया से सामान खरीदने लगे हैं, जिसके कारण उन्हें उत्पादन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
लाखों नौकरियों पर खतरा
FIEO का अनुमान है कि इस संकट से लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। कपड़ा उद्योग में बड़ी संख्या में कुशल और अकुशल श्रमिक कार्यरत हैं। उत्पादन ठप होने से इन श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उद्योग जगत ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि इस संकट से निपटा जा सके और निर्यातकों को राहत मिल सके। उन्होंने सरकार से वित्तीय मदद, जीएसटी रिफंड में तेजी लाने और एक साल के लिए ऋणों के मूलधन और ब्याज के भुगतान पर रोक लगाने का भी आग्रह किया है।
अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव
हालांकि कपड़ा उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, लेकिन इस टैरिफ का असर अन्य श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे रत्न और आभूषण, झींगा, कालीन और हस्तशिल्प पर भी पड़ रहा है। निर्यातकों का मानना है कि यदि इस समस्या का जल्द समाधान नहीं निकला तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। सरकार इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से काम कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही कोई समाधान निकाला जाएगा ताकि भारतीय निर्यातकों को राहत मिल सके।