नई दिल्ली: हॉलीवुड अभिनेत्री Sydney Sweeney के अमेरिकन ईगल के लिए हाल ही में किए गए विज्ञापन पर सोशल मीडिया पर उठे तूफान के बाद, ब्रांड ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी है। ‘ग्रेट जींस’ टैगलाइन वाले इस विज्ञापन को नस्लवादी और यहां तक कि ‘नाजी प्रचार’ तक करार दिया गया था, जिसके बाद कंपनी को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था। अब, अमेरिकन ईगल ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह विज्ञापन “केवल और हमेशा से जींस के बारे में था।”
क्या है पूरा मामला?
अमेरिकन ईगल के नए विज्ञापन अभियान में अभिनेत्री Sydney Sweeney को दिखाया गया था, जिसकी टैगलाइन थी “Sydney Sweeney हैज ग्रेट जींस” (Sydney Sweeney Has Great Jeans)। यह एक तरह से शब्दों का खेल था, जिसमें ‘जींस’ (Jeans – कपड़े) और ‘जीन्स’ (Genes – आनुवंशिकी) के बीच समानता का इस्तेमाल किया गया था। विज्ञापन में सिडनी को नीली आँखों और सुनहरे बालों वाली एक गोरी महिला के रूप में दिखाया गया था, जो अपनी जींस को ठीक कर रही थीं। इसके एक वीडियो में, वह एक बिलबोर्ड पर “ग्रेट जीन्स” (Great Genes) शब्द को काटकर उसे “ग्रेट जींस” (Great Jeans) में बदलती नजर आती हैं।
आलोचना का कारण
विज्ञापन के इस रचनात्मक विचार पर कई लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई। सोशल मीडिया पर आलोचकों ने तर्क दिया कि ‘ग्रेट जीन्स’ (Great Genes) जैसे वाक्यांश का ऐतिहासिक रूप से श्वेत वर्चस्व और नस्लीय श्रेष्ठता के सिद्धांतों के साथ संबंध रहा है। उनका कहना था कि एक नीली आँखों और सुनहरे बालों वाली गोरी महिला के साथ इस वाक्यांश का उपयोग करना अप्रत्यक्ष रूप से एक खास नस्ल की सुंदरता और आनुवंशिकी को बढ़ावा देना है, जिसे वे यूजेनिक्स (eugenics) और नस्लीय श्रेष्ठता के सिद्धांतों से जोड़ रहे थे। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे “नाजी प्रचार” तक कह डाला।
अमेरिकन ईगल का जवाब
इन सभी आलोचनाओं के बाद, अमेरिकन ईगल ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक बयान जारी किया। कंपनी ने लिखा, “‘Sydney Sweeney हैज ग्रेट जींस’ केवल और हमेशा से जींस के बारे में था। उनकी जींस। उनकी कहानी।” बयान में आगे कहा गया, “हम यह जश्न मनाना जारी रखेंगे कि हर कोई अपने एई जींस को आत्मविश्वास के साथ, अपने तरीके से कैसे पहनता है। अच्छी जींस हर किसी पर अच्छी लगती है।”
बयान के बाद भी जारी है बहस
अमेरिकन ईगल के इस बयान ने बहस को और बढ़ा दिया है। जहां कुछ लोग कंपनी के बचाव का समर्थन कर रहे हैं और इसे ‘बेतुका विवाद’ बता रहे हैं, वहीं अन्य लोग इसे ब्रांड की असंवेदनशीलता मान रहे हैं। उनका मानना है कि कंपनी को यह समझना चाहिए था कि उसके विज्ञापन में इस्तेमाल किए गए शब्दों और प्रतीकों का क्या ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भ है। इस विवाद ने मार्केटिंग में रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच की बारीक रेखा पर एक नई बहस छेड़ दी है। हालांकि, Sydney Sweeney ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।