Kerala University एक बार फिर से सुर्खियों में है, और इस बार विवाद का केंद्र विश्वविद्यालय के कुलपति और निलंबित रजिस्ट्रार के बीच का गतिरोध है। कुलपति डॉ. मोहनन कुन्नुममल ने हाल ही में निलंबित किए गए रजिस्ट्रार के.एस. अनिल कुमार के विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी है, जिससे यह मामला और गहरा गया है। इस घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है और राज्य की उच्च शिक्षा मंत्री ने भी इस पर अपनी कड़ी आपत्ति व्यक्त की है।
क्या है पूरा मामला?
विवाद की जड़ एक निजी कार्यक्रम से जुड़ी है, जिसमें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को शामिल होना था। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में आयोजित किया जा रहा था, और कथित तौर पर इसमें “भारत माता” की एक तस्वीर प्रदर्शित की गई थी जिसमें भगवा ध्वज भी था। रजिस्ट्रार के.एस. अनिल कुमार पर आरोप है कि उन्होंने इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद इसे रद्द करने का नोटिस जारी किया था। कुलपति डॉ. मोहनन कुन्नुममल ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन मानते हुए 2 जुलाई को रजिस्ट्रार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।
रजिस्ट्रार का निलंबन और कानूनी चुनौती
निलंबन के बाद, रजिस्ट्रार के.एस. अनिल कुमार ने अपने निलंबन को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार से सवाल किया कि “भारत माता” को धार्मिक प्रतीक कैसे माना जा सकता है और इस तस्वीर को लगाने से कानून-व्यवस्था का मसला कैसे खड़ा हो सकता था। रजिस्ट्रार ने अदालत को बताया कि इस तस्वीर को लेकर सीपीआई (एम) से जुड़ी छात्र इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बीच विवाद की स्थिति बन गई थी, और विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारी ने उन्हें सूचित किया था कि ऐसी स्थिति में कार्यक्रम को रद्द करना उचित होगा।
रजिस्ट्रार का यह भी तर्क है कि कुलपति के पास रजिस्ट्रार को निलंबित करने का अधिकार नहीं है और केवल सिंडिकेट ही ऐसा कर सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और वे कानूनी तरीकों से कुलपति के फैसले को चुनौती देंगे।
उच्च शिक्षा मंत्री की आपत्ति और सिंडिकेट का रुख
राज्य की उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदू ने कुलपति की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कुलपति डॉ. कुन्नुममल पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। मंत्री का कहना है कि संबंधित अधिनियम और नियमों के अनुसार, कुलपति के पास रजिस्ट्रार को निलंबित करने का अधिकार नहीं होता है, क्योंकि रजिस्ट्रार की नियुक्ति सिंडिकेट द्वारा की जाती है। उनका मानना है कि कुलपति को इस मसले को सिंडिकेट के समक्ष रखना चाहिए था।
इस बीच, विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्यों ने कथित तौर पर दावा किया है कि उन्होंने रजिस्ट्रार के.एस. अनिल कुमार का निलंबन रद्द कर दिया है। हालांकि, प्रभारी कुलपति सीजा थॉमस ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है, क्योंकि उन्होंने इस मामले पर चर्चा करने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और बैठक को रद्द कर दिया।
छात्र संगठनों का विरोध और “भगवाकरण” के आरोप
इस विवाद ने छात्र संगठनों को भी आंदोलित कर दिया है। वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ताओं ने हाल ही में विश्वविद्यालयों के “भगवाकरण” के प्रयासों का आरोप लगाते हुए केरल के प्रमुख विश्वविद्यालयों की ओर मार्च किया। उन्होंने कन्नूर विश्वविद्यालय और कालीकट विश्वविद्यालय में भी विरोध प्रदर्शन किए। केरल विश्वविद्यालय में एसएफआई कार्यकर्ताओं ने मुख्यालय के गेट तोड़ दिए और कुलपति और राज्यपाल के खिलाफ नारेबाजी की। उनका आरोप है कि कुलपति और राज्यपाल संघ परिवार की विचारधारा के हिसाब से आगे बढ़ रहे हैं।
यह पूरा घटनाक्रम केरल के विश्वविद्यालयों में राजभवन और वामपंथी नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बीच जारी सत्ता संघर्ष का भी एक हिस्सा माना जा रहा है। इस विवाद ने Kerala University के आंतरिक प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह देखना होगा कि यह गतिरोध कब और कैसे समाप्त होता है।