नई दिल्ली: कांग्रेस नेता Rahul Gandhi द्वारा मतदाता सूची में हेरफेर के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने कहा है कि कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने के लिए लगभग 6,000 आवेदन आए थे, लेकिन जांच के बाद इनमें से केवल 24 याचिकाएं ही सही पाई गईं। बाकी सभी 5,994 आवेदनों को फर्जी और निराधार मानते हुए खारिज कर दिया गया।
क्या था Rahul Gandhi का आरोप?
Rahul Gandhi ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग और भाजपा के मिलीभगत से मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया जा रहा है। उन्होंने कर्नाटक के आलंद विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए दावा किया था कि इस सीट से लगभग 6,000 मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि देश भर में एक सुनियोजित तरीके से ‘वोट चोरी’ की जा रही है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त पर इस प्रक्रिया में शामिल लोगों को बचाने का भी आरोप लगाया था।
चुनाव आयोग का विस्तृत खंडन
चुनाव आयोग ने Rahul Gandhi के आरोपों को पूरी तरह से गलत और निराधार बताया है। आयोग ने अपने बयान में कहा कि आलंद में मतदाताओं के नाम हटाने के लिए फॉर्म 7 के माध्यम से बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए थे। इन आवेदनों की मात्रा को देखते हुए, चुनाव अधिकारियों को संदेह हुआ और उन्होंने इनकी गहन जांच शुरू की। हर एक आवेदन को व्यक्तिगत रूप से सत्यापित किया गया। इस प्रक्रिया में, यह पाया गया कि 5,994 आवेदन फर्जी थे, जिन पर किसी और के जाली हस्ताक्षर थे या वे गलत पते पर थे। आयोग ने यह भी बताया कि 24 आवेदन सही पाए गए थे और केवल उन्हीं 24 नामों को सूची से हटाया गया था।
आयोग ने खुद दर्ज कराई थी FIR
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने के बाद, उसने खुद ही इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। आयोग ने बताया कि आलंद में मतदाताओं के नाम हटाने के ये प्रयास 2023 में किए गए थे और तभी चुनाव आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी। आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि वह मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह के हेरफेर को बर्दाश्त नहीं करेगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
Rahul Gandhi के आरोपों और चुनाव आयोग के जवाब के बाद, इस मुद्दे पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कांग्रेस के नेताओं ने Rahul Gandhi के आरोपों का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर चुनाव हारने के बाद अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए निराधार आरोप लगाने का आरोप लगाया है।
निष्कर्ष
आलंद का मामला एक बार फिर से मतदाता सूची की विश्वसनीयता और चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर राजनीतिक बहस को गरमा रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है और उसने खुद ही आलंद मामले में कार्रवाई की थी। यह घटना दर्शाती है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मतदाता सूची की सटीकता कितनी महत्वपूर्ण है और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए लगातार निगरानी की आवश्यकता है।