राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और PM Modi के बीच गहरा व्यक्तिगत संबंध है जो भारत और रूस के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को लगातार मजबूत कर रहा है। हाल के वर्षों में दोनों नेताओं के बीच कई उच्च-स्तरीय बैठकें और बातचीत हुई हैं, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई है।
भारत-रूस संबंधों में मोदी-पुतिन की भूमिका
दोनों नेताओं ने भारत-रूस संबंधों की ऐतिहासिक नींव और समय-परीक्षित प्रकृति को बार-बार रेखांकित किया है। उनका मानना है कि यह संबंध आपसी विश्वास, समझ और रणनीतिक लक्ष्यों पर आधारित है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार पुतिन के साथ अपनी मुलाकात को ‘यादगार’ बताया है। वे केवल औपचारिक बैठकों तक सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि नियमित रूप से संपर्क में रहे हैं, यहाँ तक कि यूक्रेन-रूस संघर्ष जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी।
PM Modi ने हमेशा शांति और कूटनीति के माध्यम से समाधान पर जोर दिया है, और इस रुख को पुतिन ने भी सराहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, और परमाणु सहयोग में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2024 में PM Modi ने रूस का दो बार दौरा किया, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को दी जाने वाली अहमियत को दर्शाता है। इसी तरह, पुतिन भी भारत आने वाले हैं, जिससे यह साझेदारी और मजबूत होगी।
आर्थिक और रणनीतिक सहयोग
आर्थिक मोर्चे पर, दोनों देशों ने वर्ष 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार का लक्ष्य रखा है। रूस से भारत का तेल आयात पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है। इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा, रक्षा उपकरणों और उर्वरकों के क्षेत्र में भी सहयोग जारी है।
रणनीतिक रूप से, भारत और रूस SCO, BRICS और G20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग करते हैं, जिससे वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति मजबूत हुई है। इन मंचों पर वे बहुध्रुवीय दुनिया के लिए एक समान दृष्टिकोण साझा करते हैं। रक्षा क्षेत्र में रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, और दोनों देश “मेक इन इंडिया” पहल के तहत संयुक्त उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं।
इस तरह, पुतिन और PM Modi के नेतृत्व में भारत-रूस संबंध न केवल मजबूत हो रहे हैं बल्कि नए आयामों को भी छू रहे हैं, जिससे दोनों देशों के साथ-साथ वैश्विक शांति और स्थिरता को भी लाभ मिल रहा है।