भारत के जाने-माने उद्योगपति मुकेश Ambani के परिवार ने न्यूयॉर्क में होने वाले अपने एक बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच रूस से तेल आयात को लेकर व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। हालांकि, कार्यक्रम के आयोजकों ने इसे ‘अप्रत्याशित परिस्थितियों’ के कारण स्थगित करने की बात कही है, लेकिन इसके पीछे की वजह भारत-अमेरिका संबंधों में आई खटास को माना जा रहा है।
NMACC इंडिया वीकेंड का स्थगन
नीता मुकेश Ambani कल्चरल सेंटर (NMACC) द्वारा न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध लिंकन सेंटर में 12 सितंबर से ‘इंडिया वीकेंड’ नामक तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाना था। इस कार्यक्रम में भारतीय कला, संस्कृति, फैशन और व्यंजनों को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने की योजना थी। मशहूर शेफ विकास खन्ना और फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा जैसे कई बड़े नाम इस इवेंट का हिस्सा बनने वाले थे। लेकिन, अब इसे अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया है। NMACC ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कार्यक्रम रद्द नहीं हुआ है, बल्कि इसे केवल स्थगित किया गया है और भविष्य में इसका आयोजन फिर से किया जाएगा। टिकट खरीदने वालों को उनका पैसा वापस कर दिया जाएगा।
रूस से तेल आयात और अमेरिका का टैरिफ
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव का मुख्य कारण भारत द्वारा रूस से सस्ते तेल का आयात है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा। अमेरिका का मानना है कि भारत की इस खरीदारी से रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए आर्थिक मदद मिल रही है। इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 50% तक का टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ा दिया है, जिससे भारत के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
भारत ने इस कदम को अनुचित बताया है और कहा है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी भी देश से तेल खरीदने के लिए स्वतंत्र है, खासकर तब जब रूसी तेल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रियायती दरों पर उपलब्ध है। भारत का यह भी कहना है कि रूसी तेल खरीदने पर कोई वैश्विक प्रतिबंध नहीं है, और वह अपने नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है। दोनों देशों के बीच यह व्यापारिक और राजनीतिक तनाव फिलहाल जारी है, जिसका असर अंबानी जैसे बड़े भारतीय व्यापारिक घरानों के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों पर भी पड़ रहा है।