Saturday, October 4, 2025
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PM Modi 7 साल बाद चीन यात्रा पर, क्या रिश्ते सुधरेंगे?

नई दिल्ली: PM Modi इस महीने के अंत में एक महत्वपूर्ण विदेशी दौरे पर जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत जापान से होगी और फिर वे चीन जाएंगे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर, प्रधानमंत्री 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा कई मायनों में बेहद खास है, क्योंकि PM Modi सात साल के लंबे अंतराल के बाद चीन का दौरा कर रहे हैं। उनकी आखिरी चीन यात्रा 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए हुई थी।

यात्रा का महत्व:

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने और संबंधों को सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में, चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत आए थे और उन्होंने PM Modi से मुलाकात कर राष्ट्रपति शी जिनपिंग का आमंत्रण सौंपा था। इस मुलाकात में PM Modi ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया था और कहा था कि सीमा विवाद का समाधान निष्पक्ष और आपसी सहमति से होना चाहिए।

संबंधों को ‘रीसेट’ करने का अवसर:

विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को ‘रीसेट’ करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव आ गया था। इस दौरान, दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई है, जिससे सीमा पर शांति स्थापित करने में मदद मिली है। हालांकि, पूरी तरह से शांति बहाली अभी भी बाकी है। यह यात्रा न केवल एससीओ के संदर्भ में बल्कि भारत-चीन संबंधों के लिए भी महत्वपूर्ण है। चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने भी इस बात की पुष्टि की है कि यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों में सुधार और विकास को एक नई दिशा देगी।

अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध के बीच भारत की भूमिका:

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (टैरिफ वॉर) चल रहा है। अमेरिका ने चीन के कई उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। ऐसे में, भारत की स्थिति और उसकी कूटनीतिक भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी यह दर्शाती है कि वह वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण शक्ति है। पीएम मोदी की यह यात्रा भारत को अमेरिका और चीन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने में मदद कर सकती है।

आगे की राह:

तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान PM Modi की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता की भी संभावना है। इस बैठक में दोनों नेता सीमा विवाद के अलावा व्यापार, निवेश और अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने पर भी ध्यान दिया जाएगा, खासकर जब चीन ने भारत को उर्वरक, दुर्लभ पृथ्वी सामग्री और सुरंग खोदने वाली मशीनों की आपूर्ति में सहयोग का आश्वासन दिया है। यह यात्रा यह साबित कर सकती है कि भारत और चीन, मतभेदों के बावजूद, आपसी सहयोग के लिए एक मंच ढूंढ सकते हैं, जो न केवल उनके लिए बल्कि पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

हलीमा खलीफा
हलीमा खलीफाhttps://www.khalifapost.com/
हलीमा खलीफा एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं जो पहचान, संस्कृति और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर लिखती हैं। उनके आगामी कार्यों के अपडेट के लिए Khalifapost.com पर बने रहें।
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