नई दिल्ली: हाल ही में नैयरा एनर्जी (Nayara Energy) के खिलाफ कुछ चौंकाने वाले आरोप सामने आए हैं। कहा जा रहा है कि कंपनी अपनी रिफाइनरी चलाने के लिए डार्क फ्लीट (Dark Fleet) और रूसी तेल पर निर्भर हो गई है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं। नैयरा एनर्जी में रूस की दिग्गज तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) की बड़ी हिस्सेदारी है। इस रिपोर्ट ने कंपनी के भविष्य और भारत के भू-राजनीतिक संबंधों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है डार्क फ्लीट?
डार्क फ्लीट उन जहाजों के समूह को कहते हैं जो बिना किसी सुरक्षा और नियामक निगरानी के काम करते हैं। ये जहाज अक्सर अपनी पहचान छिपाते हैं, ट्रांसपोंडर बंद रखते हैं और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं करते। ऐसे जहाजों का इस्तेमाल आमतौर पर प्रतिबंधों से बचने के लिए किया जाता है, खासकर जब किसी देश पर तेल निर्यात को लेकर पाबंदियां लगी हों।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, Nayara Energy की गुजरात स्थित वाडिनार रिफाइनरी तक रूसी तेल पहुंचाने के लिए इन डार्क जहाजों का इस्तेमाल किया गया है। ये जहाज कच्चे तेल को बंदरगाह तक लाते हैं, जहां से उसे रिफाइनरी में भेजा जाता है। इस तरह के व्यापारिक तरीकों का इस्तेमाल करना एक जोखिम भरा काम है, क्योंकि इससे कंपनी की छवि और कानूनी स्थिति दोनों पर असर पड़ सकता है।

रूसी तेल का आयात क्यों?
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अमेरिका और यूरोप ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इन प्रतिबंधों का मकसद रूसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करना था। इसके बावजूद, भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से रियायती दर पर तेल खरीदना जारी रखा। Nayara Energy, जिसमें रोसनेफ्ट की बड़ी हिस्सेदारी है, के लिए यह एक स्वाभाविक कदम था।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि Nayara Energy ने अपनी रिफाइनरी को पूरी क्षमता से चलाने के लिए इस रास्ते को अपनाया, क्योंकि उन्हें अन्य स्रोतों से तेल मिलना मुश्किल हो रहा था या वे अधिक महंगा पड़ रहा था। सस्ते रूसी तेल ने कंपनी को बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रखने में मदद की। हालांकि, इस तरह के व्यापार ने कंपनी को अंतरराष्ट्रीय जांच के दायरे में ला दिया है।
भारत के लिए क्या हैं इसके मायने?
यह रिपोर्ट भारत के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन गई है। एक ओर, भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और रियायती दरों पर तेल खरीदकर अपनी अर्थव्यवस्था को सहारा देने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से पश्चिमी देश, भारत पर रूस के साथ व्यापार कम करने का दबाव बना रहे हैं।
अगर Nayara Energy के खिलाफ ये आरोप साबित होते हैं, तो यह न केवल कंपनी के लिए बल्कि भारत के लिए भी एक बड़ी चुनौती होगी। इससे भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर असर पड़ सकता है और उसे अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार को इस मामले की जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी कंपनी अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन न करे।
कुल मिलाकर, Nayara Energy पर लगे ये आरोप गंभीर हैं और अगर ये सच साबित होते हैं तो कंपनी और देश दोनों के लिए बड़े जोखिम पैदा कर सकते हैं। इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखने लायक होगा।