Saturday, October 4, 2025
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Bihar SIR: ‘जानबूझकर गलत सूचना फैलाने की कोशिश,’ बोले मुख्य चुनाव आयुक्त Gyanesh Kumar

बिहार में चल रहे विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) कार्यक्रम को लेकर जारी राजनीतिक घमासान के बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) Gyanesh Kumar ने एक बड़ा बयान जारी किया है। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह एक ‘जानबूझकर’ की गई कोशिश है, जिसका उद्देश्य गलत सूचना फैलाना और मतदाताओं के मन में भ्रम पैदा करना है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जब विपक्षी दल लगातार चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं और मतदाता सूची में धांधली का आरोप लगा रहे हैं।

आरोप और जवाब: विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने, मतदाता सूची से लाखों लोगों के नाम हटाने का आरोप लगाया है, जिससे उनके पारंपरिक वोट बैंक, जैसे मुस्लिम और दलित समुदाय के मतदाताओं को नुकसान होने की आशंका है। इसके जवाब में, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग का उद्देश्य किसी विशेष समुदाय या दल को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि मतदाता सूची को शुद्ध करना है।

उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में सुधार की मांग पिछले दो दशकों से लगभग सभी राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही थी। इसी मांग को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया शुरू की है। यह कोई नई प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसे देश में पहले भी कई बार किया जा चुका है।

पारदर्शिता पर जोर: Gyanesh Kumar ने जोर देकर कहा कि Bihar SIR की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO), राजनीतिक दलों के नामित एजेंट और खुद मतदाता शामिल हैं। सभी ने मिलकर एक प्रारूप सूची तैयार की है, जिसे सभी राजनीतिक दलों ने हस्ताक्षरित कर सत्यापित भी किया है। ऐसे में ‘वोट चोरी’ या ‘फर्जी मतदाता’ जैसे आरोप पूरी तरह से निराधार और गलत हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के लिए कोई ‘पक्ष’ या ‘विपक्ष’ नहीं है, बल्कि सभी दल ‘समकक्ष’ हैं। सभी राजनीतिक दल चुनाव आयोग में पंजीकरण के बाद ही अस्तित्व में आते हैं, इसलिए आयोग उनके साथ भेदभाव कैसे कर सकता है?

फर्जी दस्तावेजों का मामला: हाल ही में, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फर्जी मतदाता पहचान पत्र (EPIC) दिखाने का मामला भी सामने आया था। इस पर चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था। आयोग ने कहा था कि फर्जी सरकारी दस्तावेज बनाना और उनका उपयोग करना एक गंभीर अपराध है। इस घटना ने भी इस बात को पुष्ट किया कि किस तरह गलत सूचना फैलाने की कोशिश की जा रही है।

लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर करने की कोशिश: मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है, तो यह देश के संविधान और लोकतंत्र का अपमान है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग किसी भी तरह के झूठे आरोपों से नहीं डरता है और वह पूरी निष्पक्षता और निडरता के साथ अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करता रहेगा।

निष्कर्ष: Gyanesh Kumar का यह बयान बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया को लेकर जारी विवाद के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उनका स्पष्टीकरण न केवल चुनाव आयोग की भूमिका को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी बताता है कि राजनीतिक दलों को अपनी हार के लिए चुनाव आयोग पर झूठे आरोप लगाने से बचना चाहिए। यह पूरा मामला दिखाता है कि किस तरह चुनावों के दौरान गलत सूचना का प्रसार लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

हलीमा खलीफा
हलीमा खलीफाhttps://www.khalifapost.com/
हलीमा खलीफा एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं जो पहचान, संस्कृति और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर लिखती हैं। उनके आगामी कार्यों के अपडेट के लिए Khalifapost.com पर बने रहें।
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