भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल क़िले की प्राचीर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रशंसा करके एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश दिया। अपने संबोधन में, उन्होंने विशेष रूप से 20वीं सदी के भारत के निर्माण में, खासकर समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण में, RSS के योगदान का उल्लेख किया। यह कदम कई राजनीतिक और वैचारिक पहलुओं से महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक और वैचारिक संदेश
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान सीधे तौर पर RSS की वैचारिक और सामाजिक वैधता को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का एक प्रयास है। लंबे समय से RSS को एक राजनीतिक संगठन के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे एक ऐसे संगठन के रूप में पेश किया है जिसने भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- वैचारिक पहचान को मजबूत करना: यह संबोधन प्रधानमंत्री मोदी के अपनी मूल विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वह यह संदेश देना चाहते हैं कि RSS, जो बीजेपी की वैचारिक जननी है, एक राष्ट्रीय गौरव है। यह कदम बीजेपी के कैडर और समर्थकों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है।
- हिंदुत्व को मुख्यधारा में लाना: लाल क़िले से RSS की प्रशंसा करके, मोदी हिंदुत्व की विचारधारा को राष्ट्र निर्माण के व्यापक विमर्श का हिस्सा बनाना चाहते हैं। यह एक ऐसा कदम है जो आरएसएस की आलोचना करने वाले विपक्ष को भी एक नई चुनौती देता है।
- विपक्ष पर निशाना: प्रधानमंत्री का यह कदम अप्रत्यक्ष रूप से उन राजनीतिक दलों पर भी निशाना साधता है जो लंबे समय से आरएसएस की आलोचना करते आए हैं। यह संदेश दिया गया है कि RSS कोई गुप्त या विभाजनकारी संगठन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा संगठन है जिसने देश के लिए निस्वार्थ सेवा की है।
राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव
प्रधानमंत्री का यह कदम आने वाले चुनावों में भी बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति हो सकती है। यह संदेश दिया गया है कि बीजेपी केवल एक राजनीतिक पार्टी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है जो भारत को एक मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए समर्पित है।
इस संबोधन से एक तरफ जहां बीजेपी के मूल समर्थक उत्साहित होंगे, वहीं दूसरी तरफ यह उन लोगों के लिए भी एक संदेश है जो अब तक RSS को लेकर संशय में थे। यह RSS को एक “राष्ट्र-निर्माता” के रूप में पेश करने का एक प्रयास है, जिससे उसकी छवि को और भी अधिक राष्ट्रीय और सामाजिक स्वीकृति मिल सके। कुल मिलाकर, लाल क़िले से RSS की प्रशंसा करके, प्रधानमंत्री मोदी ने एक शक्तिशाली राजनीतिक बयान दिया है, जिसका उद्देश्य आरएसएस की भूमिका और प्रासंगिकता को राष्ट्रीय चेतना में और अधिक गहराई से स्थापित करना है।