हाल ही में, जम्मू और कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए, Supreme Court ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पहलगाम में जो कुछ हुआ, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में मौजूदा जमीनी हकीकत और सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखना जरूरी है। यह बयान केंद्र सरकार की उस दलील को बल देता है जिसमें उसने कहा था कि राज्य का दर्जा बहाल करने का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता।
पृष्ठभूमि: अनुच्छेद 370 और केंद्र सरकार का रुख
2019 में, केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख – में विभाजित कर दिया था। इस फैसले के बाद से, जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल और कार्यकर्ता लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर की गई हैं। पिछली सुनवाई में, केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का नवीनतम रुख
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की। इस पर, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने पहलगाम में हाल ही में हुई घटनाओं का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा, “आप पहलगाम में जो हुआ उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।” यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि सुप्रीम कोर्ट मानता है कि सुरक्षा और स्थिरता की स्थिति अभी भी एक महत्वपूर्ण कारक है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कोर्ट को बताया कि राज्य का दर्जा बहाल करना एक संवेदनशील मुद्दा है और इसके लिए जमीनी हकीकत का मूल्यांकन आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के बाद राज्य का दर्जा बहाल करने पर विचार किया जाएगा, लेकिन अभी इस पर फैसला नहीं लिया जा सकता।
भविष्य की दिशा: क्या हैं संभावनाएं?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले पर जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है। यह बताता है कि यह मुद्दा अभी भी न्यायालय के विचाराधीन है। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्णय संसद और कार्यपालिका का है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इस प्रक्रिया में कानूनी और संवैधानिक पहलुओं के साथ-साथ जमीनी हकीकत का भी पूरा ध्यान रखा जाए।
जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। यह वीडियो इस सुनवाई और संबंधित घटनाक्रम पर प्रकाश डालता है।