Sunday, October 5, 2025
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“आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश: Delhi में ‘मिशन इम्पॉसिबल’ क्यों?”

नई Delhi में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसे लागू करना कई कारणों से एक असंभव मिशन जैसा लग रहा है। इस आदेश के तहत Delhi-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय गृहों में रखने और उन्हें सड़कों पर वापस न छोड़ने का निर्देश दिया गया है। हालाँकि, ज़मीनी हकीकत इस आदेश को लागू करने में कई बड़ी चुनौतियाँ पेश करती है।

शेल्टर होम और बुनियादी ढाँचे का अभाव

सबसे बड़ी चुनौती पर्याप्त शेल्टर होम और बुनियादी ढाँचे की कमी है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि Delhi में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 6 लाख से 10 लाख के बीच है, जबकि शहर में सरकारी स्तर पर कोई स्थायी डॉग शेल्टर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 5000 कुत्तों के लिए शेल्टर बनाने का निर्देश दिया है, लेकिन यह संख्या वास्तविक आबादी के मुकाबले बहुत कम है। अगर इतने बड़े पैमाने पर कुत्तों को पकड़ा जाता है, तो उन्हें रखने के लिए हजारों एकड़ ज़मीन और करोड़ों रुपये के निवेश की ज़रूरत होगी, जो दिल्ली सरकार के लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ होगा।

जनशक्ति और वित्तीय संसाधनों की कमी

इस आदेश को पूरा करने के लिए पर्याप्त जनशक्ति और वित्तीय संसाधनों का भी अभाव है। कुत्तों को पकड़ने, उनकी नसबंदी (sterilization) और टीकाकरण (vaccination) करने, और उन्हें आश्रय गृहों में रखने के लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों और वाहनों की आवश्यकता होगी। एमसीडी (Municipal Corporation of Delhi) के पास वर्तमान में इतने बड़े ऑपरेशन को चलाने के लिए पर्याप्त कर्मचारी और संसाधन नहीं हैं। इसके अलावा, कुत्तों के खाने, चिकित्सा और रखरखाव का खर्च भी बहुत अधिक होगा।

Animal Birth Control (ABC) नियमों का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश मौजूदा पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों, 2023 के साथ भी विरोधाभास पैदा करता है। इन नियमों के अनुसार, नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को वापस उसी इलाके में छोड़ना अनिवार्य है जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था। इस नियम का उद्देश्य कुत्तों को उनके प्राकृतिक क्षेत्र में बनाए रखना और मानव-पशु संघर्ष को कम करना है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस नियम को दरकिनार करता है, जिससे कानूनी चुनौतियाँ भी खड़ी हो सकती हैं।

विरोध और सामाजिक संघर्ष की संभावना

इस आदेश के लागू होने से सामाजिक संघर्ष भी बढ़ सकता है। Delhi में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो आवारा कुत्तों की देखभाल करते हैं, उन्हें खाना खिलाते हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इन लोगों को “एनिमल लवर्स” या “फीडर्स” कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है जो कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालते हैं। यह चेतावनी इन लोगों और सरकारी अधिकारियों के बीच टकराव का कारण बन सकती है। Animal activists, जैसे कि मेनका गांधी और PETA इंडिया, ने भी इस आदेश की आलोचना की है और इसे “अव्यावहारिक और अमानवीय” बताया है।

इन सभी चुनौतियों को देखते हुए, यह कहना मुश्किल नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को पूरी तरह से लागू करना एक अत्यंत कठिन और शायद असंभव कार्य है, जब तक कि सरकार इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए एक ठोस और दीर्घकालिक योजना नहीं बनाती।

हलीमा खलीफा
हलीमा खलीफाhttps://www.khalifapost.com/
हलीमा खलीफा एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं जो पहचान, संस्कृति और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर लिखती हैं। उनके आगामी कार्यों के अपडेट के लिए Khalifapost.com पर बने रहें।
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